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*श्री लँबेचू समाज का इतिहास * बादशाही में बड़ी पहुंच भई जहांगीर से खिल्लत पाई फेर विक्रमाजीत के पुत्र २ भये राणा अगरसिंह सकरोली गांव के राणा प्रतापरुद्र प्रताप नहर के राजा भये गाँव प्रतापनहर बसाया संवत् १६११ की साल में । तिनके साथ प्रधान भगवन्त सिंह भैय्याजू की खिताब पाई। तिनके पुत्र ७ सात भये। मानपाल, गंगाराम, भमानी, परमानन्द, अति सुख, कलियान, रतनगल, भगवन्तसिंह, कानीगोह ने यज्ञ प्रतिष्ठा कराई इटावा में संवत् १६०५ की साल में खेमीचंद चन्दोरिया ने यज्ञ करी प्रतिष्ठा कराई इटावा गांव में संवत् १६०६ की साल में।
इस वंशावली में लिखे प्रदेश सब उपलब्ध हैं मिलते हैं। इटावा से ५ मोल विक्रमपुर है जशवन्त सिंह ने ज़शवन्त नगर बसाया। जशवन्त नगर इटावा से ५ कोस ६ दश मील है। चक्रसेन का बसायो चकनगर बड़ेपुरा के पास है। सहसमल का वसाय बटेश्वर के पास सहसपुर हैं। वहाँ लम्बेंचू बसते हैं। दस पन्द्रह घर है वाहि में २० धर हैं सकरोली भी पास ही है। एटो के तरफ और ( असकरण) आशकरण का