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६० *श्री लँबेचू समाजका इतिहास * शाखाओंमें है। यद्यपि बृहद्धरिवंशपुराण मे वाहुल्यताके कथनसे कहा है कि द्वारिकाके भस्म होते और श्रीकृष्ण महाराजके तीर लगते जरत् कुमारसे कहा कि हमारे वंशमें तुम्हीं बचे हो, सो तुम पांडवोंके निकट जाओ, वे तुम्हारा राज्याभिषेक कर यादवोंकी गद्दीपर बैठारेंगे वंश रक्षा होगी। यह कथन वाहुल्यतासे है। क्या छप्पन करोड़ यादव लोटकर सब आ जाने सके हैं ? यदि सब ही आ गये थे, तो फिर जरन्कुमार क्यों बचे ! प्रलय कालमें भरत ऐरावत क्षेत्रमें सबका नष्ट होना लिखा है ७२ जुगल मनुष्योके देव ले गये, रक्षा की। फिर भी त्रैलोक्यसारमें लिखा है कि पर्वतोंकी कन्दराओंमें जो छिप गये वे भी बच गये। तो इसी प्रकार बहुतसे यादव बचे होंगे।
मुझे तो इतिहासके देखें राष्ट्र (राठोर) के शब्दक साथ महाशब्दसे महाराष्ट्र ( मरहाठा ) हो गया। कर्नल टाड साहबने राठोरोंको यदुवंशी जैनक्षत्रिय लिखा है और परमार और परमारोंके प्रतीहार खीची चोहानो में है तथा लम्बेचुओंके गोत्रोंमें एक बघेले गोत्र है। मुझे ऐसा मालूम होता है। वधेले एक जाति कहलाने लगी, जैसे एक