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६४ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * लम्बकाञ्चन देश छोड़ो। एक सो १४६ वि० संवत्की सालमें देश मारवाड़ हृढाड़ देशमें आया। वहाँ ६६६ वर्षताई रहै इक्कीस पीढ़ीताई वहाँ ही रहै। पीछे जब उस देशका राजा पूरव देश अन्तरवेदमें आया । पाँच कुंअर तिनके साथ सब आया। सर्वत्र लम्बेचू वंश संवत् वि० ११५२ की सालमें चन्दवरियाओने चन्दवार बसाई है जो कि फिरोजावादके पास है। रपरियाओंने रपरी बसाई, जो वोरंगीघाट बटेश्वर सूरीपुरके जमुनाके घाटसे उत्तर तटमें है। रपरिया ५ तरहके भये। एक तो वंश रायसेन बैठो, दूसरो युरोंग, तीसरो कचनाउर, चोथो फफून्द, पाँचवो फैजाबाद बैठो। ये कर्मसेनके पाँच ५ पुत्र भये। वि० संवत् १२७३ की साल में रपरी नगरमें थे। तिनही वंशज पाँच तरहके परिया कहाये। जामजीभानुके रायसेन कहाये अजमति सहाय मुरोग आये । वीरभानु कचनावर आये। नाहरराय फंफूद आये । भूपतिराय फेजल्लावाद आये । तिनके पुत्र सुमेरुसाह व शक्तिसाहने रपरी नगरमें गजरथ चलवाया, प्रतिष्ठा करवाई संवत् १५०० की सालमें। तिनके पुत्र भण्डनसाह