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* श्री लॅबेचू समाजका इतिहास #
और धर्मशाला बनवाकर वहाँ श्रीजिन मन्दिरजीमें विराजमान की है। इन्हीं बाबू मुन्नालाल द्वारकादासने कुण्डलपुर ( बिहार ) भगवान महावीरकी जन्मनगरीमें दिगम्बर जैन धर्मशाला और छोटा जिनमन्दिर बनवाया था। अब उसको बड़ा कर दिया है और धर्मशालाके दरवाजेपर इन्हींका शिलालेख है ।
(४) मोदी गोत्र नाम सदीन ( नोकरी पेसा ) व्यवसाय राजा साहवकी दुकान पर चुनीवगेरह रसदकी सेना आदिके लिये व्यवस्था करना पीछेसे मोदी कोसाणगांउ बसे ।
(५) चोधरी गोत्र हनुमन्त सिंह ( नोकरी पेसा ) व्यवसाय राजाको जिस वस्तुकी आवश्यकता हो सो चोधरी से कहना हाथी घोड़ा रथ सोना चांदी मोती मूंगा आदि सब देना पीछेसे भिंडमें वसे ।
(६) कोठीवार गोत्रन्नतम वंशधर खड़गजीत ( नोकरी पेसा) राजा साहबको असबाव कोठामें जमा देना तथा हाथी रथ सोना चाँदी आदि देना पीछे हंतिकाँत बसे ।
( ७ ) तिहैय्या गोत्र नाम बंशधर रज्जूमलजी जिन