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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास #
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सहाय चन्दवरिया चन्दवारके दीवान हुये हाउलीराय इटावा के दीवान हुये हाउलीरायने यज्ञ प्रतिविम्ब प्रतिष्ठा आरम्भ किया गजरथ निकास्या मन्दिर स्थापित किये प्रतिष्ठा कराई सम्बत् १२७२ की सालमें उनके पुत्र अजमतसहाय का व्याह सोनीगोत्र में हुआ चन्दवारमें जिसमें ५०६००० पांचलाख नोहजार रुपया खर्च हुआ यह व्याह संवत् १९३०७ की सालमें हुआ इटावासे चन्दवार तक उनके पुत्र मुकुटमणि दीवान हुये उनके पुत्र वलवीरशाह उनके पुत्र लछोल शाह उनके पुत्र दो भये सहसमल १ रामसहाय २ सहसमल तो इटावा के दीवान रहे और रामसहाय चकन्नगर के दीवान रहै सहसमल के पुत्र जशवन्तशाह उनके पुत्र कमलापति उनके पुत्र खड्गसेन उनके पुत्र आशकरण उनके पुत्र गुन्तशाह भये उनको राणा ने भैय्याजूकी खिताव दई दीवान भगुन्तसाहके ७ सात पुत्र भये परतापरुद्र परतापनहर के राजा भये और अगरसाह करोली राजा भये यह संवत् १६११ तकका हाल है गाड़ीका हाल मालूम नहीं ।