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| विषयानुक्रमणिका
विषय
पृष्ठांक
सूत्र
विषय
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به
سه سه و
६-७
१२
३२
१. प्राथमिक अध्ययन १. मंगलाचरण, २. जीवाजीव के ज्ञान का माहात्म्य,
२-३ ३. जीवाजीव के अस्तित्व की प्रज्ञा का प्ररूपण, ४. द्रव्यानुयोग के प्ररूपण-प्रकार, ५. द्रव्यानुयोग का उपोद्घात,
२. द्रव्य अध्ययन १. द्रव्यों के नाम, २. विविध विवक्षा से द्रव्यों के द्विविधत्व का प्ररूपण, ३. आनुपूर्वी आदि के क्रम से द्रव्यों के नाम, ४. विशेष-अविशेष की विवक्षा से द्रव्यों के भेद-प्रभेद, ७-१० ५. द्रव्य-गुण-पर्याय के लक्षण, ६. छह द्रव्यों के लक्षण,
११ ७. सर्व द्रव्यों के वर्ण-अवर्णादि का प्ररूपण,
११ ८. षड्द्रव्यों के अवस्थिति काल का प्ररूपण,
११ ९. षद्रव्यों का अनादित्व, १०. अस्तित्व-नास्तित्व के परिणमन का प्ररूपण, ११. षद्रव्यों में द्रव्य और प्रदेश की अपेक्षा कृतयुग्मादि का प्ररूपण,
१२-१३ १२. षद्रव्यों के अवगाढ़-अनवगाढ़ का प्ररूपण, १३ १३. असंख्यात. प्रदेशी लोक में अनन्त प्रदेशी द्रव्यों के अवगाढ़ का प्ररूपण,
१३ १४. नरक पृथ्वियों सौधर्मादि देवलोकों और ईषना भारा
पृथ्वी के अवगाढ़-अनवगाढ़ का प्ररूपण, १३-१४ १५. पंचास्तिकाय के प्रदेशों का और अद्धासमयों का परस्पर प्रदेश स्पर्शन प्ररूपण,
१४-१८ १६. पंचास्तिकाय के प्रदेशों का और अद्धासमयों का परस्पर प्रदेशावगाढ़.प्ररूपण,
१८-२१ १७. तीन द्रव्य एक-एक और तीन द्रव्य अनन्त, १८. लोकालोक विवक्षा से द्रव्यों के भेद-प्रभेद, १९. जीव द्रव्य के भेद, २०. अरूपी अजीव द्रव्यों के भेद, २१. अरूपी अजीव द्रव्यों का प्रमाण प्ररूपण, २२. रूपी अजीव द्रव्य के भेद, २३. मूर्त रूपी द्रव्यों का अरूपी आकाश द्रव्य के साथ
स्पर्शन और अवगाहन का प्ररूपण, २४. समयादिकों का अच्छेद्यादि प्ररूपण, २५. समय-अतीत-अनागत और सर्वद्धा काल के
अगुरुलघुत्व का प्ररूपण, २६. लोकाकाश और जीव के असंखेयत्व प्रदेशों का
प्ररूपण,
२७. क्षेत्र और दिशा के अनुसार द्रव्यों का अल्पबहुत्व, २३ २८. षड्द्रव्यों का द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा अल्पबहुत्व,
२३-२५ २९. • जीव-पुद्गल-अद्धासमय आदि (सर्वप्रदेश और सर्वपर्यायों) के अल्पबहुत्व का प्ररूपण,
२५ ३. अस्तिकाय अध्ययन १. अस्तिकायों के भैद,
२७ २. पंचास्तिकायों की प्रवृत्ति
२७-२८ ३. पंचास्तिकायों के पर्यायवाची शब्द,
२८-२९ ४. पाँचों अस्तिकायों का प्रमाण, ५. अस्तिकायों के अजीव-अरूपी प्रकार, ६. पंचास्तिकायों का गुरुत्व-लघुत्व का प्ररूपण, ३० ७. पंचास्तिकायों का द्रव्यादि की अपेक्षा वर्णादि का प्ररूपण,
३०-३२ ८. चार अस्तिकाय द्रव्य प्रदेशाग्र की अपेक्षा तुल्य, ३२ ९. धर्मास्तिकायादिकों के मध्य प्रदेशों की संख्या
का प्ररूपण, १०. जीवास्तिकाय के मध्य प्रदेशों का आकाशास्तिकाय
के प्रदेशों में अवगाहन प्ररूपण, . ११. दृष्टांतपूर्वक धर्मादिकों में परिपूर्ण प्रदेशों से अस्तिकायत्व का प्ररूपण,
३२-३३ १२. पुद्गलास्तिकाय के प्रदेशों में द्रव्य, द्रव्यदेशादि
की प्ररूपणा १३. कितने अस्तिकायों से लोक स्पृष्ट है, १४. दृष्टांतपूर्वक धर्म-अधर्म आकाशास्तिकायों पर आसनादि का निषेध,
४. पर्याय अध्ययन १. पर्याय नाम, २. पर्यायों के लक्षण, ३. पर्याय के दो प्रकार,
१.जीव पर्याय ४. जीव पर्यायों का परिमाण,
३८-३९ ५. चौबीसदंडकों में द्रव्यादि की अपेक्षा ग्यारह
स्थानों द्वारा पर्यायों के परिमाण का प्ररूपण, ३९ नैरयिकों के पर्यायों का परिमाण
३९-४१ असुरकुमारादि के पर्यायों का परिमाण,
४१-४२ पृथ्वीकायिकों के पर्यायों का परिमाण,
४२ अप्कायिकों के पर्यायों का परिमाण,
४२-४३
भूल से एक सूत्रांक का अन्तर रह गया है। कुल सूत्र संख्या २९ होनी चाहिए।
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