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अरुणाभ
अर्थ (स्त्री०) सूर्य की पत्नी (छाया/संज्ञा) ~ता (स्त्री०) अरुण अर्चि-(स्त्री०) 1 लौ 2 किरण। ~मान (वि०) प्रकाशमान होने की अवस्था या भाव 2 लड़ाई, लाली; अरुणा (स्त्री०) अर्चित-I सं० (वि०) 1 पूजित 2 सम्मानित II (पु०) विष्णु - = अरुण
अर्च्य-सं० (वि.) अर्चनीय अरुणाभ-सं० (वि०) लाल आभा से युक्त, लालिमा युक्त | अर्ज-अ० (पु०) 1निवेदन 2 प्रार्थना 3 चौड़ाई। दाश्त अरुणित-सं० (वि०) 1 जिसे लाल किया गया हो 2 जिसमें (पु०) प्रार्थनापत्र, अर्जी; ~मारूज़ (पु०) प्रार्थना लाली आ गयी हो ।
अर्जक-सं० (वि०/पु०) 1 प्राप्त करनेवाला 2 कमानेवाला अरुणिमा-सं० (स्त्री०) लालिमा, ललाई, लाली
अर्जन-सं० (पु०) 1 कमाना 2 संग्रह करना। ~शील अरुणोदय-सं० (पु०) ऊषाकाल, भोर, तड़का
(वि०) कमानेवाला अरूढ़-सं० (वि०) 1 आरुढ़ 2 जो रूढ़ न हो, अप्रचलित अर्जनीय-सं० (वि०) संग्रह या प्राप्त करने योग्य अरूढ़िवाद-सं० (वि०/पु०) जो रूढ़ियों में विश्वास न करता अर्जित-सं० (वि०) 1 संगृहीत 2 कमाया हुआ। ~अवकाश
(पु०) आधिकारिक छुट्टी अरूप-[ सं० (वि०) 1आकृतिहीन, बिना रूप आकार का | अर्जी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) प्रार्थनापत्र, दरखास्त । दावा 2 कुरूप 3 असमान II (पु०) भद्दी शक्ल
(पु०) वादी पक्ष का प्रार्थनापत्र, पुर्जा.(स्त्री०) प्रार्थनापत्र; . अरूपक-सं० (वि०) 1 आकृतिहीन, अपार्थिव 2 रूपालंकार नवीस (पु०) अर्जी लिखनेवाला; ~मरम्मत (स्त्री०) रहित
आवेदन पत्र से संशोधन हेतु दिया जानेवाला प्रार्थनापत्र अरे-अ0 1 छोटों के लिये व्यवहृत और प्रायः तिरस्कार सूचक | अर्जुन-I सं० (पु०) 1 महाभारत का एक प्रमुख पात्र 2 हैहय सम्बोधन 2 आश्चर्य, दुःख, आकुलता आदि प्रकट करनेवाला नरेश कार्तवीर्य 3 इंद्र 4 सफेद रंग 5 एकलौता बेटा 6 मोर उद्गार
7 नेत्र रोग II (वि०) 1 सफ़ेद, उज्जवल 2 चमकीला अरोक-(वि०) 1 अबाध्य, जो रोका न जा सके 2 छिद्र रहित 3 स्वच्छ 3कांतिहीन 4जो रुकता न हो
अर्ण-सं० (पु०) 1 जल, पानी 2 शोरगुल अरोग-I सं० (वि०) रोग रहित, निरोग; II (पु०) आरोग्य अर्णव-सं० (पु०) 1 समुद्र 2 अंतरिक्ष। ~ज (पु०) समुद्र आरोगी-सं० (वि०) जो रोगी न हो, तंदुरुस्त
फेन; ~नेमि (स्त्री०) पृथ्वी; ~पोत, यान (पु०) जहाज़ अरोग्य-सं० (वि०) स्वस्थ, निरोग। ~ता (स्त्री०) निरोगता, अर्णोद-सं० (पु०) बादल स्वस्थता
अर्तन-[ सं० (पु०) 1 निंदा 2 जुगुप्सा II (वि०) निंदा अरोचक-I सं० (वि०) 1 अरुचि पैदा करनेवाला. अरुचिकर करनेवाला 2 शोकान्वित, खिन्न, आर्त्त II (पु०) अरुचि
अर्ति-सं० (स्त्री०) पीड़ा व्यथा अर्क-I सं० (पु०) 1 ज्योति, प्रकाश, किरण 2 सूर्य 3 आक | अर्थ-सं० (पु०) 1 अभिप्राय, मतलब 2 प्रयोजन 3 काम या मदार II (वि०) पूजा करने योग्य। ~मंडल (पु०) सूर्य 4 मामला 5 हेतु 6 धन संपत्ति 7 इंद्रियों के विषय (शब्द, मंडल
स्पर्श, रस रूप, गंध) 8 उपयोग 9 इच्छा 10 मूल्य। -कर अर्क-अ० (पु०) अरक़ ~गीर (पु०) अर्क निकालने वाला (वि०) जिसका कुछ अर्थ हो; ~कष्ट (१०) पैसे की कमी; (भभका)
~काम (वि०) धनेच्छु, स्वार्थी; ~कारी (वि०) धन के अर्गल-सं० (पु०) 1किवाड़ बंद करने की अगड़ी 2 रोक, विचार से उपयोगी; कार्य (प.) अर्थ का कार्य; --गत अवरोध
(वि०) अर्थ संबंधी; ~गर्भित (वि०) जिसमें एक या कई अर्गला-सं० (स्त्री०) 1 अगड़ी 2 सिटकिनी 3 हाथी बाँधने की अर्थ हो सकते हों; ~गौरव (प०) अर्थ की गंभीरता; जंजीर
~ग्रहण (पु०) मतलब समझना; ~~घटक (वि०) अर्थ अर्गलित-सं० (वि०) 1 अर्गला से बंद 2 अवरुद्ध
को कम करनेवाला; ~ (वि०) 1 धन का नाश करनेवाला अर्घ-सं० (पु०) 1 पूजन के लिए दूध-जल 2 हाथ धोने के 2 अपव्ययी; छाया (स्त्री०) संलग्न अर्थ, सूक्ष्म भेद से लिए दिया गया जल 3 दाम, मूल्य 4 मधु, शहद । दान
नया अर्थ; ~तंत्र (पु०) अर्थव्यवस्था; तत्त्व (पु०) शब्द (पु०) अर्घ अर्पण करना; पतन (पु०) भाव गिरना; में निहित अर्थ; ~दंड (पु०) अर्थ रूप में दी जानेवाली सजा;
~पात्र (पु०) अर्घ अर्पण करने वाला पात्र; ~बलाबल दान (पु०) पुरस्कार स्वरूप दिया जानेवाला धन या मुद्रा; (पु०) उचित मूल्य 2 वस्तुओं के मूल्य की मंदी या तेजी; दूषण (पु०) 1 अपव्यय 2 अन्याय से किसी का धन ले
वृद्धि (स्त्री०) मंहगाई होना; ~संस्थापन (पु०) लेना 3 दूसरे का धन नष्ट करना 4 अर्थ में दोष ढूंढ़ना; व्यापारिक वस्तुओं का मूल्य निर्धारित करना
नीति (स्त्री०) धन-संबंधी नीति; न्यायालय (पु०) अर्चक-सं० (वि०) पूजा करनेवाला
जहाँ अर्थ संबंधी झगड़े-विवाद सुलझाए जायें पति (पु०) अर्चन-सं० (पु०), अर्चना (स्त्री०) पूजन, वंदन, उपासना 1 कुबेर 2 राजा 3 धनवान्, परामर्शक (वि०) अर्थ अर्चना-सं० (स्त्री०) पूजा, वंदना। ~वंदना (स्त्री०) अर्चना संबंधी सलाह देनेवाला; परिवर्तन (पु०) भाव का करना, वंदन करना
परिवर्तन; ~पिपासा (स्त्री०) धन की लालसा/तृष्णा; अर्चनीय-सं० (वि०) 1 पूजनीय 2 सम्मान्य
-पिशाच (पु०) अति धनलोभी; पुस्तिका (स्त्री०) वह अर्चमान-सं० (वि०) अर्चनीय
रजिस्टर या कापी जिसमें अर्थ विषयक लेखा-जोखा हो; अर्चा सं० (स्त्री०) 1 पूजा 2 प्रतिमा जिसकी पूजा करनी हो । प्रकृति (स्त्री०) नाटक में कथावस्तु को बढ़ाने में सहायक