Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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उपकोसल कामलायन
प्राचीन चरित्रकोश
उपमन्यु वासिष्ठ
पुत्र।
ओर ध्यान न दे, सत्यकाम यात्रा करने चला गया । तब २. (सो. वृष्णि.) अक्रूर का पुत्र । मानसिक दुःख के कारण, उरकोसल ने अन्न वर्ण्य किया। ३. रुद्रसावणि मनु का पुत्र । इस ब्रह्मचारी का तप और उसकी सेवा को ध्यान में उपदेवा--देवक की कन्या। कृष्ण के पिता वसुदेव रख कर तीन अग्नि, इसे ज्ञान देने के लिये प्रगट हुए। की स्त्री । इसे कल्प, वर्ष आदि इस पुत्र थे। तीनों अग्मियों ने इसे बताया कि प्राण, सुम्ब तथा आकाश उपनंद--नंद का मित्र तथा हस्तक । ये प्रत्येक ब्रह्म है। उपकोसल ने कहा 'प्राण ब्रह्म कैसे है २. वसुदेव तथा मदिरा का पुत्र । यह मुझे समझ गया; परंतु सुख और आकाश के संबंध उपनंदक-(सो. कुरु ) धृतराष्ट्र का पुत्र । मे मुझे समझ में नहीं आया। इस पर अग्नि ने योग्य उपनिधि-विष्णुमतानुसार वसुदेव की, भद्रा से उत्पन्न उत्तर दे कर उसका समाधान कर अपना स्वरूप भी उसे कन्या। समझा दिया। उन्होंने अंत में कहा ' उपकोसल ! यह
उपबर्हण-नारद देखिये। हमारी विद्या तथा आत्मविज्ञा हम ने तुम्हें बताई । ब्रह्म
उपबिंदु--अंगिराकुल का एक गोत्रकार । वेत्ता का अगला मार्ग तुम्हारे आचार्य बतायेंगे । कुछ दिनों उपबिंबा-(सो. वृष्णि.) वायुमतानुसार वसुदेव की, के बाद आचार्य आये और शिष्य का मुखावलोकन कर
| भद्रा से उत्पन्न कन्या। कहा-" मेरे बच्चे ! ब्रह्मज्ञानी के मुख की तरह तेरा
उपभंग--(सो. यदु.) श्वफल्क का पुत्र । मुख दिखाई देता है; तुझे किसने ज्ञान दिया ?" उप
उपमन्यु वासिष्ठ--मंत्रदृष्टा (ऋ. ९.९७.१३कोसल ने बताया कि, अग्नि ने मुझे ज्ञान दिया । तब गुरु
१५)। वसिष्ठकुलोत्पन्न व्याघ्रपाद का पुत्र । इसका कनिष्ठ ने उपदेश दिया (छां. उ. ४.१०.१; १४.१)।
बंधु धौम्य । इसका आश्रम हिमालय पर्वत पर था । इसकी - उपक्षत्र--(सो. वृष्णि.) विष्णुमत में श्वफल्क का
माता का नाम अंबा था। उपमन्यु आपोद (आयोद) धौम्य
ऋषि का शिष्य । धौम्य ने उपमन्यु के उदर निवाह के उपगहन-विश्वामित्र का पुत्र (म. अनु. ७.५६ कुं.)।
साधन भिक्षा, दूध, फेन आदि बंद किये। अंत में प्राण उपगु-वसिष्ठकुलोत्पन्न एक ऋषि ।
के अत्यंत व्याकुल होने पर इसने अरकवृक्ष के पत्तों का २: (स. निमि.) विष्णु मतानुसार सात्यरथिपुत्र । भक्षण किया। जिसके कारण वह अंधा हुआ तथा कुएँ
उपगुप्त-(स. निमि.) भागवतमतानुसार उपगुरु | में गिर पड़ा । गुरुजी शिष्य को ढूंढने के लिये निकले, जनक का पुत्र ।
तथा वन में आ कर उपमन्यु को कई बार पुकारा । गुरुजी उपगुरु-(सू. निमि.) सत्यरथ का पुत्र । इसका पुत्र | के शब्द पहचान कर उपमन्यु ने अपना सारा वृत्तांत कहा। उपगुप्त ।
तब गुरुजी ने इसे अश्विनीकुमारों की स्तुति करने को कहा। उपगु सौश्रवस-कुत्स और्व का पुरोहित । इसने स्तुति करते ही अश्विनीकुमारों ने प्रसन्न हो कर इसे ___इंद्र को हवि दिया इसलिये यजमान ने इसका वध किया एक अपूप भक्षण करने दिया । परंतु इसने गुरु को प्रथम (पं. ब्रा. १४.६.८)।
अर्पण किये बिना उसे भक्षण करना अस्वीकार कर उपचित्र--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपत्र । भीम ने दिया । उपमन्यु को किसी भी प्रकार के मोह के वश न इसका वध किया (म. द्रो. १११.१८)।
होते देख, वे उस पर बहुत संतुष्ट हुए। अश्विनीकुमारों उपचित्रा-(सो. वृष्णि.) वसुदेव की मदिरा से ने उसे उत्तम दृष्टि दी । गुरु भी उस पर प्रसन्न हुए (म. उत्पन्न कन्या।
आ. ३.३२-८४)। उपजंघनि-सनारु देखिये।
बचपन में एक बार उपमन्यु दूसरे मुनि के आश्रम उपदानवी-मयासुर की तीन कन्याओं में से ज्येष्ठ।। में खेलने गया । वहा इसने गाय का दूध निकालते हुए हरण्याक्ष की स्त्री।
देखा । बचपन में एक बार इसके पिता एक यज्ञ में २. सद की कन्या । इसका पुत्र दुष्यंत (ब्रह्माण्ड, ३. उसे ले गये, जहाँ इसे दुग्धप्राशन करने मिला था। ६.२५)।
इस कारण इसे दूध का गुण तथा उसकी मिठास मालूम ३. विदर्भपत्नी । नामान्तर भोजा ।
थी (म. अनु. १४.११७-१२०)। लिंग एवं शिव उपदेव--(सो.) देवक का पुत्र ।
| पुराण में ऐसा दिया है कि, जब वह मामा के घर गय