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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * Mostromitramanderertoresidiarriorrottosteroeowwwderwomen
षष्ठी विभक्ति के एक वचन में:-बुलघाः विभवः बुद्धीन-बुद्धीमा-बुद्धीइ-बुद्धीप विहयो अर्थात बुद्धि की संपत्ति ।
सप्तमी विमक्ति के एक वचन में:-युद्धीपम स्थितमबुद्धोम-बुद्धाभा-बुद्धिइ-बुद्धीए ठि अर्थात् बुध्दि में स्थित है।
दीर्घ ईकारान्त स्त्रीलिंग-'सखी-सही' का उदाहरणः--
तृतीया-षष्ठी-सप्तमी के एक वचन को ऋमिक उदाहरणः-सख्या कृतम् सही-सहीश्रा-सहोईसहीए कयं । सखी से किया हुआ है।
सख्या कृतम्-सही-सहींआ-सहोइ सहीए कयं । सखी से किया हुश्रा हैं। सत्याः वचनम् - सही-सहोश्रा-सहोइ-सहीए वणं = सखी का वचन है। संख्याम् स्थितम् = सही-सहोत्रा-सहीइ-सही ठिी = सखी में रहा हुआ है।
तृतीया-षष्ठी--सप्तमा विभक्ति के एक वचन के ह्रस्व उकारान्त स्त्रीलिंग 'धेनु = घेणु' का क्रमिक उदाहरणः-धेन्वा कृतम् = धेरणूध-घेणूत्रा-धेराइ--घेणूए कयं = गाय से किया हुआ है।
धेन्वाः दुग्धम् = घेणूत्र-धेणूत्रा--गृह-धेणूए दुध्द गाय का दूध है। धेन्वाम् स्थितम् = धेणूअ--घेणू प्रा--घेणूइ- धेणूए (ठ = गाय में स्थित हैं।
वीर्ष ऊकारान्त स्त्रीलिंग शब्द 'वधू-वहू' के तृतीया--पष्ठो- सप्तमी विभकि के एफ वचन का क्रमिक उदाहरणः
वध्या कृतम् = बहूध--बहूआ--बनूइ-बहूए कयं = बहू से किया हुआ है। वध्वाः भवनम् = बहू-बहूमा--बहूइ--वहूए भवणं = बहू का भवन है। वध्वाम स्थितम् = बहू बहूा-बहूइ-बहूर ठियं = बहू में रहा हुआ है।
संस्कृत पंचमी विभक्ति के एक वचन में प्राप्त प्रत्यय 'सि-अस्' के स्थान पर प्राकृत में वैकल्पिक रूप से 'अ--श्रा-इ-ए' आदेश-प्राप्ति तथा क्रम से 'प्रो-तो-हिन्तो' प्रत्ययों की प्राप्ति होती है । उदाहरण इस प्रकार हैं:--
प्राकारान्त स्त्रोलिंग:-मुग्धायाः-मुद्धाअ-मुद्धाइ-मुद्घाए मुद्धत्तो, मुद्धाओ, मुद्घाउ और मुमाहिती।
इकारान्त स्त्रीलिंग: बुरपाः बुध-बुडींबा-बुीइ-बुद्धीए, बुरित्तो बुंगेर, दुवीओं और पशिहिती।