________________
४६
द्वारा उत्पन्न ज्ञान को कहता है। शब्द आदि के रूप में परित द्रव्य के समूह को जब प्रथम व्यञ्जन शब्द कहता है तब द्वितीय व्यञ्जन शब्द श्रोत्र आदि इन्द्रियों को कहता है, तब शब्द आदि रूप व्यञ्जन के साथ श्रोत्र आदि व्यंजन इन्द्रिय का जो संबंध है वह व्यञ्जनावग्रह कहा जाता हैइस पक्ष में अवग्रह शब्द का अर्थ है संबंध । इस रीति से शब्द आदि के साथ श्रोत्र आदि इन्द्रियों के संबंध को व्यञ्जनावग्रह शब्द प्रकाशित करता है ।
जब अवग्रह शब्द हीन ज्ञान काव चिक होता है तब इन्द्रिय रूप व्यञ्जनों के द्वारा शब्द आदि रूप व्यञ्जनों का ज्ञान व्यञ्जनावग्रह कहा जाता है । दोनों पक्षों में एक व्यंजन शब्द का लोप है।
ग्रन्थकार यहाँ इन्द्रिय और शब्द आदि के संबंध को मी व्यंजन कहते हैं । जब व्यंजन शब्द संबंधवाची होता है तब इन्द्रिय और शब्द आदि रूप अर्थ के सबंधात्मक व्यंजन से शब्द आदि रूप व्यजन का हीन ज्ञानरूप अवग्रह व्यजन:ग्रह कहा जाता है इन दो व्युत्पत्तियों में व्यंजनावग्रह शब्द, शब्द आदि के होन ज्ञान को कहता है । एक व्युत्पत्ति के अनुसार इन्द्रिय रूप व्यंजनों के द्वारा शब्द आदि रूप व्यंजन का होन ज्ञान व्यंजनावग्रह कहा जाता है, और दूसरी व्युत्पत्ति के अनुसार इन्द्रिय और अर्थके संबंध रूप व्यंजन के द्वारा शब्द आदि रूप व्यंजनका हीन ज्ञान व्यंजनावग्रह कहा जाता है। एक पक्ष के अनुसार व्यंजनावग्रह में इन्द्रिय आदि साधन होते हैं और दूसरे पक्ष के अनुसार इन्द्रिय और अर्थ का संबंध साधन होता है ।