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शब्दों का ज्ञाप बोध वास्तव में अपाय है। नन्दी सूत्र में अवग्रह को जो विशेषों का प्रकाशक कहा गया है वह उपचार से कहा गया है। कारण में कार्य उत्पन्न करने की योग्यता है इसलिये योग्यता द्वारा कारण में कार्य है । अवग्रह कारण है और अपाय कार्य है, योग्यता की अपेक्षा से अवग्रह में अपाय का स्वरूप है. इस कारण अवग्रह को बहु और बहुविध अर्थों का बोधक कहा गया है । अर्थावग्रह का विषय सामान्य है विशेष नहीं, इसलिये विशेष को अवग्रह के विषयरूप में कहना युक्त नहीं है। . [निश्चय और व्यवहार के द्वारा अवग्रह के दो भेद
मृलम्-थवा अवत्रही विविधः नैश्चयिकः, व्यावहारिक श्च । आद्यः सामान्यमात्रग्राही, द्वितीयश्च विशेषविषयः तदुत्तरमुत्तरोत्तरधर्माकाङ्क्षारूपेहाप्रवृत्तेः अन्यथा अवग्रहं विनेहानु.
गदप्रसङ्गात् अत्रैव क्षिप्रेतरादिभेदसङ्गतिः, अत एव चोपयु परिज्ञानप्रवृत्तिरूपसन्तानव्यवहार इति द्रष्टव्यम् । ___ अर्थ-अथवा अवग्रह के दो भेद हैं नैश्चयिक और व्यावहारिक । प्रथम केवल सामान्य को जानता है ओर दूसरे का विषय विशेष है, कारण उसके पीछे उत्तरोत्तर धर्मों के जानने की इच्छारूप ईहा की उत्पत्ति होती है । अवग्रह बिना ईहा की उत्पत्ति नहीं हो सकती । इसी अवग्रह में क्षिप्र और अक्षिप्र आदि भेदों की