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अर्थः-शंका करते हैं, 'तत्ता' अंश में अतीतता है. उसकी वर्तमानता स्मृति में प्रतीत होती है, इसलिए स्मृति अप्रमाण है । इसके उत्तर में कहते हैं, यह युक्त नहीं । सब स्थानों में विशेष्य का काल विशेषण में प्रतीत हो, इस प्रकार का नियम नहीं है।
विवेचना:-स्मृति को अप्रमाण सिद्ध करने के लिए पूर्व. पक्षी कहता है-जिस ज्ञान का विषय प्रमाण के द्वारा बाधित
हो जाता है, वह ज्ञान अप्रमाण होता है । जो घट रक्तवर्णवाला है, उसमें श्यामवर्ण की प्रतीति प्रत्यक्ष से बाधित है, अतः वह अप्रमाण है। 'वह वृक्ष है' इस प्रकार की स्मृति होती है। यहाँ पर 'वह' अंश वक्ष की अतीतता को प्रकाशित करता है। और है' अंश उसकी सत्ता को वर्तमानकाल में प्रकाशित करता है। इस रीति से जो अतीत है, उसकी वर्तमानता स्मृति में प्रतीत होती है। अतीत की वर्तमानता प्रत्यक्ष से बाधित है। बाधित विषय से युक्त होने के कारण स्मरण अप्रमाण है।
इसके उत्तर में सिद्धान्ती कहता है-पूर्वकाल में वृक्ष का अनुभव हुमा था इसलिए अतीतकाल के साथ वृक्ष का संबंध 'वह' अंश से प्रकट होता है । वृक्ष वर्तमानकाल में है। इसलिए उसके साथ वर्तमानकाल का संबंध प्रतीत होता है। अतीत और वर्तमान दोनों कालों के साथ वृक्ष का सबंध है। इसमें प्रत्यक्ष और अनुमान का कोई विरोध नहीं है। अतीत को प्रत्यक्षता का विरोध प्रत्यक्ष प्रमाण करता है, पर स्मरण में अतीत प्रत्यक्ष रूप से नहीं प्रतीत होता।