Book Title: Jain Tark Bhasha
Author(s): Ishwarchandra Sharma, Ratnabhushanvijay, Hembhushanvijay
Publisher: Girish H Bhansali

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Page 569
________________ क्रिया में समर्थ घट ही घट है इस वस्तु के साथ शब्द नयों का संबंध है । जल का लाना घटन क्रिया है, जल का लाना एक पर्याय है वह अनुगामी द्रव्य नहीं है इस पर्याय विशेष के साथ मुख्य रूपसे संबंध रखने के कारण शब्द-नय भाव-बोधक कहे जाते हैं । जल लाने में समर्थ घट भाव-घट है, वह जिस प्रकार नामघट अथवा स्थापनाघट नहीं है, इसी प्रकार द्रव्य घट भो नहीं है । भाव घट का कारण है मृत्पिड । उसके साथ शब्दनयों का संबंध नहीं है । मिट्टी के पिंडसे पानी नहीं लाया जा सकता । अपने आकार में जब घट बन जाता है तभी पानी लाया जा सकता है। शब्दनयों के अनुसार द्रव्य घट को घट नहीं कहा जा सकता । शब्द और अर्थ के वाच्य-वाचक भाव के साथ ऋजुसूत्र का संबंध नहीं है, वह वर्तमान काल के साथ संबंध रखनेवाले अर्थको स्वीकार करता है । वर्तमान काल का पर्याय अतीत और अनागत में नहीं है इसलिए द्रव्य के अनुगामी स्वरूप के साथ यद्यपि ऋजुसूत्र का सीधा संबंध नहीं है परंतु गौण रूपसे संबन्ध अवश्य है । ऋजुसूत्र नय वर्तमान पर्याय के आधारभूत द्रव्य की एकता का निषेध नहीं करता । भाव-घट बिना द्रव्य के प्रतिष्ठित नहीं हो सकता। भाव घट में भी उत्तरवर्ती क्षणों में घट के उत्पन्न करने की शक्ति है । इस अपेक्षासे वह भी द्रव्य घट है । इस स्वरूप के द्रव्य घट का निषेध ऋजुसूत्र नहीं कर सकता । अतः विशेषावश्यक के कर्ता अपने मत में ऋजुसूत्र को भी नैगम आदि के समान द्रव्यार्थिक का भेद मानते हैं और ऋजुसूत्र के अनुसार द्रव्य निक्षेप कोभी स्वीकार करते हैं।

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