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मूलम् - अधिकं नयरहस्यादौ विवेचितमस्माभिः । अर्थ:- अधिक विचार हमने नयरहस्य आदिमें किया है ।
इति महामहोपाध्याय श्री कल्याण विजयगणि शिष्य मुख्य पंडित श्री लाभविजयगणि शिष्यावतंस पंडित श्री पण्डित श्री नय
जीत विजयगणिसतीर्थ्य
विजय गणि शिष्येण पण्डित श्री पद्मविजयगणि सोदरेण पण्डित यशो विजयगणिना विरचितायां जैन तर्क भाषायां निक्षेप
परिच्छेदः संपूर्णः, तत्संपूर्वौ च संपूर्णेयं जैन तर्क भाषा ॥
अर्थ:- पंडित यशोविजयगणिके द्वारा रचित जैन तर्क भाषा में निक्षेप परिच्छेद पूर्ण हों गया और उसके पूर्ण होने पर : यह जैन तर्क भाषा समाप्त हुई ।
अन्तिम वाक्यके अन्य पदोंकी व्याख्या पहले की जा चुकी है।
॥ इति निक्षेप परिछेदः ॥