________________
है। प्रमाण और विकल्प दोनों का विषय है वह प्रमाण और विकल्प दोनों से प्रसिद्ध कहा जाता है ।
मूलमः-तत्र प्रमाणप्रसिद्धो धर्मी यथा धूम. वस्वादग्निमत्त्वे साध्ये पर्वतः, स खलु प्रत्य. क्षेणानुभूयते। ____ अर्थ:-पर्वत अग्निमान है धूमवान होनेसे । इस प्रयोग में पर्वत प्रमाणसिद्ध धर्मी है । प्रत्यक्ष प्रमाण से पति देखा जाता है।
मलम्-विकल्पसिडो धर्मी यथा सर्वज्ञोऽस्ति सुनिश्चितासम्भवबाधकप्रमाणत्वादित्यस्तित्वे साध्यं सर्वज्ञः, अथवा खरविषाणं नास तीति नास्तिो साध्ये खरविषाणम् । अत्र हि सर्वज्ञवरविषाणे --अस्तित्वनास्तित्व सिद्धिभ्यां माग विकल्पसिडे। . अर्थ:-सब प्रकार से बाधक प्रमाणों का अभाव निश्चित है अतः सर्वज्ञ है, इस प्रयोग में जब अस्तित्व साध्य होता है तब सर्वज्ञ विकल्प सिद्ध धर्मी है । अथवा जब खरविषाण नहीं है इस रीति से असत्त्व साध्य होता है तब खरविषाण विकल्प सिद्ध धर्मी है यहां पर सत्त्व
और असत्त्व की सिद्धि से पहले सर्वज्ञ और खरविषाण विकल्प से सिद्ध हैं।