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सत्त्व है उसी काल में पर-द्रव्य मादिकी अपेक्षा से असत्त्व भी है । एक काल में होनेके कारण सत्व और असत्व का अभेद है। जिस प्रकार सत्त्व का काल के कारण असत्त्व के साथ अभेद है इसप्रकार शेष धर्मों के साथ भी अभेद है।
मूलम्:-यदेव चास्तित्वस्य तद्गुणत्वमात्मरूपं तदेवान्यानन्तगुणानामपीत्यात्मरूपेणाभेदवृत्तिः । ____ अर्थः-(२) जीव आदिका अथवा घट आदि का गुण होना जिस प्रकार अस्तित्व का आत्मरूप है इसप्रकार अनन्त गुणों का भी यही आत्मरूप है। इस रीति से आत्मरूप के द्वारा अभेद वृत्ति है ।
मूलम:-य एव चाधारोऽर्थो द्रव्याख्योऽस्तित्वस्य स एवान्यपर्याणामित्यर्थेनामेदवत्तिः। .
अर्थः-(३) जो द्रव्य-रूप अर्थ अस्तित्व का आधार है वही अन्य धर्मों का भी आधार है, इस कारण अर्थ के द्वारा अभेद वृत्ति है।
मूलम:-य एव चाविष्वग्भावः सम्बन्धो. ऽस्तित्वस्य स एवान्येषामिति सम्बन्धेनाभेदवृत्तिः ।
अर्थः-(४) अस्तित्व का जीव आदिके साथ जो 'अविष्वग्भाव नामक सम्बन्ध है वही सम्बन्ध अन्य धर्मों का भी है। इस रीतिसे सम्बन्ध के द्वारा अभेदवृत्ति है।