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मर्थ:- इनमें प्रकृत अर्थ की अपेक्षा से रहित नाम अथवा
अर्थ की परिणति नाम निक्षेप है। जैसे अन्य अर्थ में स्थित इन्द्र आदि शब्द के द्वारा केवल सङ्केत से पाच्य गोपाल पुत्र को परिणति, जो शक्र आदि पर्याय शब्दों से नहीं कही जा सकती। अथवा यही अर्थ की परिणति केवल इच्छा के कारण प्रयुक्त किसी भी अन्य अर्थ के अवाचक 'डित्थ
डवित्थ' आदि शब्द से वाच्य हो तो नाम निक्षेप है। विवेचना:-इन्द्र शब्द का मुख्य अर्थ स्वर्ग का अधिपति इन्द्र है, उसकी अपेक्षा के बिना गोपाल के पुत्र में जब इन्द्र पद का सङ्केत कर दिया जाता हैं । तो इन्द्र नाम गोपाल पुत्र का बोध कराता है । इस दशा में गोपाल के पुत्र का परिणाम इन्द्र शब्द का वाच्य है । इन्द्र के जो अन्य पर्याय हैं उनसे गोपाल पुत्र को नहीं कहा जा सकता। इस दशामें नाम निःक्षेप स्वर्गाधिपति का वाचक नहीं होकर गोपाल के पुत्र का वाचक बन जाता है। ___ नाम निःक्षेप के लिए मुख्यरूप से अन्य अर्थ का वाचक होना आवश्यक नहीं है । जब कोई डित्थ अथवा डवित्थ शब्द से किसी को पुकारने लगता है तो उसका वही नाम ही हो जाता है । डिथ और डवित्थ किसी अन्य वस्तु के नाम नहीं हैं। वस्तु के जो गुण हैं, उनकी अपेक्षा के बिना अर्थ में संकेत करना नाम निःक्षेप के लिए आवश्यक है। इन्द्र शब्द का जब गोपाल के पुत्र में संकेत करते हैं। तब इन्द्र शब्दसे स्वर्गा