Book Title: Jain Tark Bhasha
Author(s): Ishwarchandra Sharma, Ratnabhushanvijay, Hembhushanvijay
Publisher: Girish H Bhansali

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Page 526
________________ इस विषय में उसको संदेह हो जाता है। कभी कभी इस प्रकार के श्रोता को भ्रम हो जाता है। जिस अर्थ में अभिप्राय उसको न लेकर अन्य अर्थ को वहाँ पर वह समझ लेता है । उत्पन्न होने वाले संदेह भ्रम और अज्ञान का निराकरण हो जाय इसके लिए निक्षेपों की रचना की जाती है। निक्षेपों को जानकर प्रकरण आदि के द्वारा श्रोता अभिप्रेत अर्थ को ग्रहण कर लेता है और अन्य अर्थ का त्याग कर देता है। प्रकरण आदि के समझने में निक्षेप सहायता करते हैं पारमार्थिक अर्थ को निक्षेप की सहायता से श्रेता जानकर उसका उचित स्यान में विनियोग कर सकता है। - जिस शब्द के अनेक अर्थ होते हैं उसका विशेष अर्थ प्रकरण की सहायता से प्रतोत होता है, इसका प्रसिद्ध उदाहरण 'सैन्धव' शब्द है । सैन्धव शब्द के दो अर्थ हैं और वे दोनों मुख्य हैं। एक अर्थ है अश्व, दूसरा अर्थ है लवण । यदि वक्ता कहे सैन्धवं आनय अर्यात् सैन्धव को लाओ तो श्रोता सुनकर सन्देह करने लगता है, मुझे घोडा लाने के लिए कहा गया है । वा लवण लाने के लिए । इसके अनन्तर यदि श्रोता समझता है इस समय भोजन का अवसर है बाहर जानेका नहीं, तो वह भोजन प्रकरण के अनुसार लवण अर्थ को स्वीकार कर के लवण ले माता है। यदि निक्षेपों के द्वारा सैन्धर शब्द के चार प्रकार के वाच्य मर्थों को प्रकट कर दिया जाय तो प्रकरण के समझनेमें सरलता

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