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में प्रतीत होता है। इस प्रकार शशशग नहीं है इस वाक्य के द्वारा अखंड शशशग को प्रतीति और अभाव की विशेष्यरूप में प्रतीति होतो है । प्रतियोगिता संबंध से अखंड शशशग प्रकार है और अभाव विशेष्य है । ___ जब अनुमिति में शशशृग की प्रतीति होती है तब अखंड शशशृंग विशेष्य हो जाता है और नास्तित्व प्रकार हो जाता है । नास्तित्ववाला शशशग है इस रीति से अनु. मिति होती है।
द्वितीय पक्ष के अनुसार शशशग का ज्ञान विशिष्टरूप में होता है। पहले कहे हुए वाक्य के द्वारा उत्पन्न ज्ञान में शशीयत्व विशेषण है और शग विशेष्य है । शशीयत्व से विशिष्ट शग अभाव में विशेषण है । विशेषण का दूसरा नाम प्रकार है । प्रतियोगिता संबंध से शशीयत्व विशिष्ट शग अभाव में प्रकाररूप से प्रतीत होता है । शशीयत्व विशिष्ट शरारूप प्रतियोगीवाला यह अभाव है इस रूप में शाब्द बोध होता है। ___अनुमिति में जब विशिष्ट रूप से प्रतीति होती है तब शशीयत्व विशिष्ट शग विशेष्यरूप में प्रतीत होता है और नास्तित्व उसमें प्रकाररूप से प्रतीत होता है । शशीयत्व विशिष्ट शग नास्तित्ववाला है, इस रीति से अनुमिति होती है।
तृतीय पक्ष में शशशुग का ज्ञान खंड खंड रूप में होता है। शाब्दबोध में जब खंडरूप से प्रसिद्धि हती है तब एक खंड शश और दूसरा खंड शुग है। प्रतियोगिता संबंध सेशग अभाव में प्रतीत होता है और श ग में शश प्रतीत होता है।
शशपद लक्षणा से शश के संबधी को कहता है । इस रीति से शश संबंधी जन प्रतियोगिता संबंध से अभाव में