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विवेचना:-मित्रा के अनेक पुत्र हैं । उनमें से कुछ को किसीने देखा है। जिनको देखा है , उनका वर्ण श्याम है। श्याम पुत्रों को देखनेवाले ने एक पुत्र को नहीं देखा । अदष्ट पुत्र के विषय में वह अनुमान करता है-वह श्याम है, मित्रा का पुत्र होनेसे, मित्रा के दृष्ट पुत्रों के समान। इस अनुमान में मित्रा का पुत्र होना हेतु है, मित्रा का वह पुत्र जो अदृष्ट है, वह पक्ष है. और श्याम वर्ण साध्य है। मित्रा के श्याम पुत्र सपक्ष हैं । जो मनुष्य श्याम वर्ण के नहीं हैं वे विपक्ष हैं, वे मित्रा के पुत्र नहीं हैं। यह जानकर कोई इस अनुमान का प्रयोग करता है। वह समझता है, मैंने मित्रा के जितने पुत्रों को देखा है वे सब श्याम वर्ण के हैं, जिनका वर्ण मुझे शुक्ल दिखाई दिया है वे मित्रा के पुत्र नहीं हैं । इसलिए यहाँ हेतु की साध्य के साथ अन्वय और व्यतिरेक से व्याप्ति है। शुक्ल वर्णवाले मनुष्य विपक्ष हैं। उनमें मित्रा का पुत्रमाव. रूप हेतु नहीं है इसलिए विपक्ष में हेतु की वृत्ति नहीं है।
___ यहाँ पर अनुमान का प्रयोक्ता भूल करता है। शुक्ल वर्ण के कुछ लोगों को मित्रा से भिन्न नारियों के पुत्ररूप में देखकर जो शुक्ल मनुष्य है वह मित्रा का पुत्र नहीं है इस प्रकार का नियम नहीं मान लेना चाहिये । अन्य स्थान में मित्रा का पुत्र, इस प्रकार का भी हो सकता है जो श्याम न हो । श्याम वर्ण के अभाव के साथ मित्रा के पुत्रभाव का कोई विरोध नहीं है । इस दशा में हेतु का विपक्ष में अभाव सन्देह युक्त हो जाता है। संभव है, मित्रा का अदृष्ट पुत्र शुक्ल वर्णवाला हो, मित्रा के पुत्र श्याम और शुक्ल दोनों प्रकार के हो सकते हैं। इस रीतिसे मित्रा के पुत्रभावरूप हेतु की श्याम वर्ण से भिन्न वर्णवाले पुत्ररूप विपक्ष में वत्ति