________________
१५५
उससे दूर है, यह उससे समीप है, यह उससे ऊंचा अथवा नीचा है-इत्यादि ।
विवेचनाः-पूर्वकाल में किसी गौ को देख चुकने पर पीछे कोई अन्य गाय जव देखने में आती है तब पहले देखी हुई गौ का स्मरण करके 'यह गौ उसी जाती की है। इस प्रकार का ज्ञान उत्पन्न होता है। पहले की देखी गौ में जिस प्रकार का आकार था इस प्रकार का आकार सामने खड़ी गौ में दिखाई देता है। यह समान आकाररूप परिणाम गोत्व जाति है । यही जाति तियक सामान्य कही जाती है। सामने खड़ी गौ में इस सामान्य का ज्ञान होता है।
जब सामने गवय होता है और उसमें पहले देखो हुई गौ के समान आकार दिखाई देते हैं, तब सादृश्य का प्रकाशक प्रत्यभिज्ञान होता है।
___ यह वही जिनदत्त है-इस प्रकार के प्रत्यभिज्ञान में ऊर्ध्वता सामान्य का ज्ञान होता है पांच छ वर्ष पहले जिस जिनदत्त को देखा था, उसो को जब फिर देखता है, तब यह वही जिनदत्त है इस प्रकार का ज्ञान होता है । पहले देखे और पीछे देखे शरीर में भेद है । इन दोनों शरीरों में अनुगत एक शरीर द्रव्य है । यह द्रव्य रूप ऊर्ध्वता सामान्य को लेकर होनेवाला प्रत्यभिज्ञान है।
पूर्वकाल का कोई एक पुरुष जिस अर्थ को कहता है उस अफ में जो जाति है । वहो जाति वर्तमानकाल के किसी अर्थ में भी हो सकती है । भिन्न काल के अर्थ दो भिन्न व्यक्ति हैं. परंतु इनकी जाति एक है । जब व्यक्तिओं के भिन्न होने पर भी वर्तमानकाल के अर्थ को पूर्वकाल में देखे हुए अर्थ को जाति से युक्त कहा जाता है,