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व्याप्तिस्मरणादिसापेक्षमनसैवोपपत्तौ अनुमान. स्याप्युच्छेदप्रसङ्गात्।
अर्थः-यह कथन उचित नहीं । प्रत्यक्ष स्मृति की अपेक्षा नहीं करता । यदि इस प्रकार न माना जाय तो व्याप्ति स्मरण आदिकी सहायता को पाकर मन के द्वारा पर्वत में अग्नि के ज्ञान की उत्पत्ति होनेके कारण अनुमान का विनाश हो जायगा ।
विवेचना:- कार्य की उत्पत्ति में मुख्य कारण जिनकी अवश्य अपेक्षा करता है, जिनके बिना यह अकेला कार्य उत्पन्न नहीं कर सकता वे कारण सहकारी कहे जाते हैं । बीज अंकुर की उत्पत्ति में मुख्य कारण है, परंतु वह अकेला अंकुर को उत्पन्न नहीं कर सकता। भूमि, जल, आतप और वायु की उसको आवश्यकता होती है, अतः भूमि आदि बीज के सहकारी हैं । बीज अंकुर का उपादान कारण है और भूमि आदि सहकारी कारण हैं । उपादान कारण के समान निमित्त कारण को भी सहाकारियों की अपेक्षा होती है। लकडी को काटने में काटनेवाला कर्तारूप निमित्त कारण है । कुल्हाड़ा उसका सहायक है। कुल्हाडे के बिना लकड़ी नहीं काटी जा सकती। सूत्र अथवा पत्र आदि लकडी के काटने में सहायक नहीं होते । सूत्र और पत्र के बिना लकडी काटी जा सकती है। प्रकृत में इन्द्रिय प्रत्यक्ष जान की उत्पत्ति का निमित्त कारण है। सूर्य और दीपक आदि नेत्र इन्द्रिय के सहकारी कारण हैं । सूर्य आदिके प्रकाश के बिना चक्षु नहीं देख सकती, देखने में स्मरण की अपेक्षा नहीं है।