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प्रकार हेतु की मत्ता है इस प्रकार सायको सत्ता मोहोनी साहिय या दृष्टान्त में हेतु हो और साय विद्यमान न होतो साध्य वैकल्य नाम काराव होता है। समा बारिताम्तों में सघातरूप हेतु है । सभोरबोर मारियाणा को सघातरूप मानते हैं, पर शय्या भापित परावं. स्वरूप साध्य नहीं है। पन आषिसे मित्र रोरो पति 'पर' मान लिया जाय तो शरीर भी हस्तपार-बम नाम बंगों का संघातरूप है। इस पक्ष में मो शरीररूप संहत. पर कमा सघातक हेतु की व्याप्ति सिद्ध होती है। यदि यहा पर शब्द से शरोर मित्र मयं का अभिप्राय हो तो वह भी बोटों के अनुसार रूप मान अदिका सघातरूप है। असहत आत्मा के साथ शय्या माहिका सबंध देखने में नहीं आता। इसलिये यहां अनम्बय दोष है।
इस अनुमान में संघातरूप हेतु बिल्ख भी है। साध्य धर्म का प्रो विशेष है उसके विपरीत रुप को सिद्ध करता हैमलिये संघातरूप हेतु बम विशेष विपरीत साधन नामक बिरुद्ध है साध्य धर्म है परायंत्व, उसका विशेष है असंहतत्व उसके विपरीत धर्म है सहतस्व, इसको यह हेतु सिद्ध करता है-अतः विरुद्ध है।
मूलम्:-स्वार्थानुमानावसरेऽपि परार्थानुमानोपयोग्य भिधानम् , परायस्य स्वार्थ पुरःसरत्वेनाननिभदज्ञापनार्थम्
अर्थः-स्वार्थानुमान के अवसर में परार्थानुमान के लिये उपयोगी विषय का कथन दोनों अनुमानों में