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रहता है इसलिए वासना अस्पष्ट रूप के कारण शक्ति कहलाती है। अविच्युति का अनुभव स्पष्ट रूप से होता है। इस अविच्युति से वासना उत्पन्न होती है और स्पष्ट प्रतीयमान स्मति को उत्पन्न करती है, इसलिए उपचार से वासना ज्ञान रूप कही जाती है। ___ कारण में कार्य का उपचार दो प्रकार का है। 'धन सुख है' यह उपचार है । यहाँ पर सुख के निमित्त कारण धन में कार्य सुख का उपचार है। निमित्त कारण का कोई सूक्ष्म अंश भी कार्य के रूप को नहीं धारण कर सकता। सुख का संवेदन स्वतः होता है। सोना चांदी आदि रूप धन का प्रत्यक्ष बाह्य इन्द्रियों द्वारा होता है। धन स्वसंवेद्य नहीं है । सुखको उत्पन्न करता है इस लिए धन सुख कहा जाता है। असुख रूप धन में सुख शब्द का प्रयोग उपचार है ।
इससे भिन्न प्रकार का कारण में कार्य का उपचार तब होता है जब उपादानकारण में कार्यवाची शब्द का प्रयोग होता है । दूध और घो में स्पष्ट भेद है । दूध घीको उत्पन्न करता है दूध धीका उपादान कारण है। धन जिस प्रकार सुख से भिन्न देश में रहता है इस प्रकार दूध घी से भिन्न देश में नहीं रहता। दूध ही घी के रूप में परिणाम को प्राप्त करता है। दूध और घी में द्रव्य एक है पर पर्याय भिन्न है। इसी रीति से 'इंटे भवन हैं। इस प्रकार का उपचार होता है। ईटें उपादान कारण हैं और भवन ईकार्य है। मुख्य रूप से कार्य के वाचक भवन शब्द का प्रयोग ईटों में होता है । इस रीति से जहाँ उपादान कारण में कार्यवाचक शब्द का प्रयोग होता है वहाँ पर उपादान कारण उपादेय कार्य के रूप में विद्यमान रहता है । अपाय रूप अविच्युति वासना