________________
अर्थ-(२) उच्छ्वास आदि अनक्षपश्रुत कहा जाता है । वह भी भाव श्रृत का कारण है । उच्छ्वास आदि के कारण यह 'शोक सहित है' इत्यादि ज्ञान उत्पन्न होता है । अथवा श्रुतोपयोगवाला आत्मा जिस व्यापार को करता है उसको संपूर्ण रूप से करता है इसलिए उसका समस्त व्यापार श्रुत स्वरूप है । परन्तु शास्त्र ज्ञाता लोग उच्छवास आदि को ही श्रुत कहते हैं। इस लये काग्त्र ज्ञाताओं की रूढि के अनुसार उच्छ्वास आदि ही अनक्षर श्रुत हैं ।
विवेचना--जब कोई उच्छ्वास और नि:श्वास लेता है तब शब्द सुनाई देता है। शब्द के सुनने से उच्छ्वास और निःश्वास आदिके करनेवाले पुरुष के शोक और हर्ष आदिका ज्ञान होता है । शब्द से उत्पन्न अर्थज्ञान मुख्यरूप से श्रुतज्ञान है। वही भ वश्रुत कहा जाता है । शब्द भावश्रुत का कारण है। उच्छ्वास आदि केवल शब्द है, भावश्रुत का कारण होनेसे श्रुत कहा जाता है । उसमें श्रुत शब्द का प्रयोग उपचार से है। उच्छवास आदि के समान थूक और खांसी आदि के सुननेसे किसी किसी काल में अभिप्राय विशेष का ज्ञान होता है। उस काल में थक आदि भी अनक्षर श्रुत है।
__ अथवा उपचार के बिना भी उच्छवास आदि श्रुत कहे जा सकते हैं श्रत ज्ञानवाले आत्मा का जो कोई व्यापार होता है उसमें आत्मा संपूर्ण रूप से कारण है। उस काल में श्रुत ज्ञान आत्मा का स्वरूप है। आत्मा का जो व्यापार उस काल