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अर्थ-यदि अवग्रह में यह शब्द है इस रीति से अध्यवसाय हो तो शब्द का उल्लेख अंतमुहूर्त में होता है इस कारण अर्थावग्रह एक सामयिक नहीं रह सकेगा।
विवेचना- शब्द का उल्लेख अंतर्मुहूर्त काल में होता है और अर्थावग्रह एक समय में होता है यह आगम का सिद्धान्त है । यदि अर्थावग्रह में शब्द का संबंध हो तो उसमें अंतर्मुहूर्त काल जायगा । एक समय में अर्थावग्रह होता है इस सिद्धांत के साथ विरोध होगा।
मूलम्-स्यान्मतम्-'शब्दोऽयम्' इति सामा. न्यविशेषग्रहणमप्यर्थावग्रह इष्यताम् , तदुत्तरम् -'प्रायो माधुर्यादयः शङ्खशब्दधर्मा इह, न तु शाङ्गधर्माः खरककशत्वादयः' इतीहोत्पत्तेः
इतिः
___ अर्थ-शंका करते हैं 'यह शब्द है' इस प्रकार के सामान्य विशेष के ग्रहण को भी अर्थावग्रह मान लीजिये, कारण, उसके अनन्तर-यहाँ प्रायः शंख शब्द के मधुरता आदि धर्म हैं, शग से उत्पन्न शब्द के तीव्रता कर्कशता आदि नहीं हैं-इस रीति से ईहा की उत्पत्ति होती है।
विवेचना-सामान्य रूप से शब्द का ज्ञान अर्थावग्रह है। इसके समान 'यह शब्द है' इस रीति का जो सामान्य विशेषरूप ज्ञान होता है वह भी अवग्रह है-इस प्रकार जो माना जाय तो हानि नहीं है। सामान्य रूप से ज्ञान अर्था