________________
प्रकार जीव को होती हैं इस प्रकार प्रिय और अप्रिय वस्तु को चिन्ता से उत्पन्न सुख दुःख भी जीव को होते हैं । अतीत
और अनागत विषयों के समान वर्तमान काल में विषयों को चिन्ता भी मन करता है परन्तु विषयों के साथ मन का संबंध नहीं होता।
मलम्-ननु यदि मनो विषयं प्राप्य न परिच्छिनत्ति तदा कथं प्रसुप्तस्य 'मेर्वादौ गतं मे मनः' इति प्रत्यय इति चेत्, ___ अर्थ-विषक के साथ संबंध करके यदि मन नहीं जानता तो सोये मनुष्य को "मेरा मन मेरु आदि पर गया था" यह प्रतीति क्यों होती है ।
विवेचना-यह पूर्व पक्ष की शंका है, जागने के काल में जब मनुष्य एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है तब उसको प्रतीति होती है, पूर्व काल में मैं जिस स्थान पर था अब उससे भिन्न स्थान पर हूँ। भिन्न स्थानों के साथ शरीर का संबंध होता है, इस विषय में यह प्रतीति प्रमाण है। "मेरु पर मेरा मन गया था" ईस प्रकार की प्रतीति मन की गति में प्रमाण होनी चाहिए। जागरण और स्वप्न दो दशाएँ हैं। जिस प्रकार जागरण दशा का ज्ञान प्रमाण है इस प्रकार स्वप्न दशा का ज्ञान प्रमाण है।
मलम-न, मेर्वादौ शरीरस्येव मनसो गमन स्वप्नस्यासत्यत्वात् , अन्यथा विबुद्धस्य कुसुमपरिमलायध्वजनितपरिश्रमाद्यनुग्रहोपघातप्र... सङ्गात् ।