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श्री आदिनाथ-चरित
उपयोग नहीं किया । कारण मुमुक्षु पुरुष प्राप्त वस्तुमें भी आकांक्षा रहित होते हैं ।
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३ - लघुत्व शक्ति - इस शक्ति से शरीर पवनसे भी हलका बनाया जा सकता है।
४ - गुरुत्व शक्ति- इससे शरीर इतना भारी बनाया जा सकता है कि इन्द्रादि देव भी उसके भारको सहन नहीं कर सकते । ५ – प्राप्ति शक्ति- इससे पृथ्वीपर बैठे हुए आकाशस्थ तारोंको भी छू सकता है।
- प्रकाम्य शक्ति-इससे जमीन की तरह पानीपर चल सकता है और जलकी तरह जमीनमें स्नानादि कर सकता है ।
७- ईशत्व शक्ति - इससे चक्रवर्ती और इन्द्रके जैसा वैभव किया जा सकता है ।
८ – वशित्व शक्ति- इससे क्रूर प्राणी भी वशमें आ जाते हैं । ९- अप्रतिघाती शक्ति - इससे एक दवजिंकी तरह पर्वतों और चट्टानों में से मनुष्य निकल सकता है ।
१० - अप्रतिहत अन्तर्ध्यान शक्ति- इससे मनुष्य पवनकी तरह अदृश्य हो सकता है ।
११ – कामरूपत्व शक्ति- इससे एक ही समय में अनेक तरहके रूप धारणकर सारा लोक पूर्ण किया जा सकता है ।
६ - बीजबुद्धि लब्धि - इससे एक अर्थसे अनेक अर्थ जाने जा सकते हैं । जैसे- एक बीज बोनेसे अनेक बीज प्राप्त होते हैं । ७ – कोष्ट बुद्धि लब्धि - जैसे कोठेमें अनाज रहता है वैसे ही इससे पहले सुनी हुई बात पुनरावर्तन न करनेपर भी हमेशा याद रहती है । ८ - पदानुसारिणी लब्धि - इससे आरंभका बीचका या अंतका, चाहे किसी स्थलका एक पद सुननेसे सारा ग्रंथ याद आ जाता है । ९ - मनोबली
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