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२४ श्री महावीर स्वामी-चरित
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यानी समूहके बिखर जानेसे आत्मा भी नष्ट हो जाता है । जब आत्मा ही नहीं रहता तो फिर परलोक किसको मिलेगा ? मगर तुम्हारी यह शंका आधारहीन है । कारण,-जीव पंच भूतोंसे जुदा हैं । पाँच भतोंके एकत्र होनेसे कभी चेतना नहीं उपजती। चेतना जीवका धर्म है और वह पंच भूतोंसे भिन्न है । इसीलिए पंच भूतोंके नष्ट होनेपर भी जीव कायम रहता है और वह परलोकमें, एक देहको छोड़कर दूसरी देहमें जाता है। किसी किसीको जातिस्मरणज्ञान होनेसे पूर्व भवकी बातें भी याद आती हैं।" . मेतार्यकी शंका मिट गई और उन्होंने अपने ३०० शिष्योंके साथ प्रभुके पाससे दीक्षा ले ली। उनके बाद प्रभास प्रभुके पास आये । प्रभु बोले:-" हे प्रभास ! तुम्हें मोक्षके संबंध संदेह है । मगर यह ठहर सके ऐसी शंका नहीं है। कारण,-जीव और कर्मके संबंधका विच्छेद ही मोक्ष है। मोक्ष और कोई दूसरी चीज नहीं है । वेदसे और जीवकी अवस्थाकी विचित्रतासे कर्म सिद्ध हो चुका है । शुद्ध ज्ञान, दर्शन और चारित्रसे कर्मोंका नाश होता है । इससे ज्ञानी पुरुषोंको मोक्ष प्रत्यक्ष भी होता है।"
प्रभासकीभी शंका मिट गई और उन्होंने भी अपने ३०० शिष्योंके साथ प्रभुके पाससे दीक्षा ग्रहण कर ली।
१-प्रभासके पिताका नाम बल और उनकी माताका नाम अतिभद्रा था । ये राजगृह नगरके रहनेवाले कौंडिन्य गोत्रीय ब्राम्हण थे । इनकी उम्र ४० बरसकी थी। ये १६ बरस गृहस्थ ८ बरस छद्मस्थ और १६ बरस केवली रहे थे।
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