Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granth Bhandar

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Page 887
________________ सूचीपत्र श्रीमाल, वगैरा जातियाँ पहले कौन थी ? किस धर्मको मानती थीं और फिर किन परिस्थितियों में जैनाचार्योंने उन्हें जैन बनाया। (३) जैनराजा-वे सभी राजा जिन्होंने जैनधर्मका पालन किया। (४) जैनमंत्री-वे सभी जैन मंत्री जिन्होंने अपनी बुद्धिके बलसे राज्य और देशकी उन्नति व रक्षा की थी। (५) जैनदानी–वे सभी दानवीर श्रावक जिन्होंने लाखोंकी दौलत खर्चकर जैनधर्मकी प्रभावना की और अपना नाम अजर अमर किया। (६) गच्छोंका इतिहास-कौनसे आचार्यने किस कारणसे नवीन गच्छकी स्थापना की। (७) जैनवीर-वे सभी जैनवीर जिन्होंने युद्धस्थलमें तलवारके जौहर दिखाये और समय आने पर हँसते हँसते अपने प्राण देशके लिए न्योछावर कर दिये। अभिप्राय यह है कि, इसमें ऐसे सभी चरित्रोंका समावेश किया जायगा कि, जो जैनधर्मानुयायियोंके लिए व्यबहार-दृष्टिस और आध्यात्मिक दृष्टिसे, दोनों दृष्टियोंसे-अभिमानकी वस्तु होंगे। वर्तमानमें निम्न लिखित व्यक्तियोंका परिचय दिया जायगा । (१) त्यागी-आचार्य और मुनिराज । (२) पदवीधर ( Degree holders ) जैसे, सॉलिसिटर, बेरिस्टर, वकील, डॉक्टर, ग्रेज्युएट, पंडित, वैद्य, हकीम, वगैरा और वे सभी शिक्षित जिन्हें युनिव्हरसिटिसे या किसी भी शिक्षा संस्थासे कोई पदवी मिली होगी। (३) उपाधिधर ( Title holders) जैसे, सर, राजा, रायबहादुर, जे. पी. वगैरा और वे जिन्हें किसी देशी राज्यकी तरफसे या किसी भी समाज या संस्थाकी तरफसे कोई उपाधि मिली होगी। (४) लेखक । (५) ऑफिसर(६) जमींदार । (७) समाज और धर्मके सेवक (८) दानी। (९) तपस्वी । (१०) व्यापारी । (११) विदुषी महिलाएं । और (१२) जैनोंकी सामाजिक संस्थाएँ । यथासाध्य सबके फोटो भी प्रकाशित किये जायेंगे। इस ग्रंथका मूल्य १. पहलेसे ( In advance ) रु. २०) २. पहलेसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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