Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granth Bhandar

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Page 889
________________ सूचीपत्र wwwwwwwwwwwwww संकट, संकटोंको जय करती हुई उसकी वीर मूर्ति, बरसों बाद पुनः पति-पत्नीका मिलन । वह आनंद । वह प्रेमका जीवन, सुंदर चित्र; आकर्षक छपाई; सफाई; मोटे टाइप । तीसरा संस्करण । मू० पाँच आने । ५ अनंतमती (ले०-श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा) [ चार चित्रोंसे सुशोभित-मूल्य चौदह आने ] पुरुषोंमें जैसे भीष्मपितामह आदि महात्माओंने यावज्जीवन ब्रह्मचर्यका पालन किया था, वैसे ही अनंतमतीने जीवनभर ब्रह्मचर्य पाला था। यह प्रसिद्ध है कि पुरुषका ब्रह्मचर्य उसकी इच्छाके विरुद्ध नष्ट नहीं होता; परन्तु नारीका ब्रह्मचर्य दुष्ट पुरुष जबर्दस्ती, भी नष्ट कर सकते हैं । यह चरित्र बतायगा कि नारी भी बालब्रह्मचारिणी रह सकती है और दुष्टोंके पंजेसे अपनेको बचा सकती है । बालब्रह्मचारिणी स्त्री किस तरह पवित्र प्रेमका प्रवाह बहा सकती है और जनसमाजहीकी नहीं पशुसमाज तककी सेवा कर उनके स्वाभाविक वैरभावको भुला देती है । बड़ी ही अद्भुत कथा हैं। पढ़कर ह्रदयमें सेवाभावका और धर्म भावका स्रोत बहने लगता है । (पुनः छपनेपर मिल सकेगी) ६ आदर्शजीवन ले-श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा यह आचार्य महाराज श्रीविजयवल्लभ सूरिजीका विस्तृत जीवनचरित्र है । अनेक फोटोसे सुशोभित करीब ८ सौ पृष्ठका ग्रंथ । ऊपर रेशमी कपड़ेकी बाइंडिंग सुनहरी अक्षर । मूल्य मात्र ३॥) रुपये। ७ पैंतीस बोल ले०-श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा। यह प्रसिद्ध पैंतीस बोलका थोकड़ा है। इसमेंकी सभी बातें बड़ी ही अच्छी तरहसे समझाई गई हैं। यह विद्यार्थियों के कामकी तो है ही परंतु बड़े भी इससे बहुत लाभ उठा सकते हैं । मूल्य।) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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