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ग्रंथ भंडार लेडीहार्डिंजरोड माटुंगा (बम्बई)
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और सात सात बार पढ़ा है, तो भी उनका जी न भरा । ऐसा उत्तम उपन्यास आजतक प्रकाशित नहीं हुआ। मूल्य १)
७ वरदान ।
(लेखक-श्रीयुत प्रेमचंद्रजी।) कर्तव्य और प्रेमका अनोखा संग्राम, कर्तव्यके हेतु सुखका बलिदान, बालपनकी मनमुग्धकारी चुहले, माता पिताकी कन्याको धनिक घरमें ब्याहनेकी लालसासे युवक युवतिके हृदयोंके टुकड़े, और परोपकारके लिए अपना सर्वस्व समर्पण । ये सब आपको इस ग्रंथमें देखनेके लिए मिलेंगे। श्रीयुत प्रेमचंद्रजीकी सुविख्यात लेखिनीका चमत्कार स्वयं प्रसिद्ध है। पवित्र भावनाओंसे पूर्ण इस ग्रंथका मूल्य १) रु.
८ विधवा प्रार्थना । (ले०-स्व० मौलाना अल्ताफहुसेन हाली।) उर्दूके परम प्रसिद्ध लेखक और कवि शमसुल उल्मा मौलाना अल्ताफहुसेन . हॉलीकी कविता 'मनाजात बेवा' का यह नागराक्षर संस्करण है।
मूल पुस्तकके कठिन उर्दू और अप्रचलित हिन्दी शब्दोंके अर्थ पादटीकामें दिये हैं।
मौलाना साहबने इस कवितामें विशेषकर हिन्दु विधवाओंके दुखोंका वर्णन किया है। मनाजातका विषय करुणा प्रधान है । आरंभके १४ पृष्ठोंमें विधवा शोकभरे शब्दों में ईश्वरकी लीलाका वर्णन करती है, फिर शेष अंशमें वह अपनी रामकहानी सुनाती है।' __भाव और रसकी प्रधानताके सिवा, इस कवितामें अलंकार, प्रकृति वर्णन, मनोहर पदयोजना आदि अनेक चमत्कार हैं, । जिनका आनंद पुस्तकको आद्योपान्त पढ़नेहीसे प्राप्त हो सकता है । भाव और भाषा दोनोंके विचारसे 'विधवाप्रार्थना'' एक आदर्श-रचनाका आदर्श है । मू. पाँच आने ।
९. सर्वोदय ।
(लेखक-म० गाँधी।) कानपुरकी 'प्रभा' लिखती है:-" अर्थशास्त्र और सार्वजनिक सुखके संबंध सुविख्यात अंग्रजी लेखक स्वर्गीय जॉन रस्किनके विचार अत्यंत सुंदर और दिव्य Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com