Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granth Bhandar

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Page 895
________________ सूचीपत्र । इस पुस्तकमें वे ही विचार महात्मा गाँधीकी लेखनी द्वारा व्यक्त किये गये हैं। x x x x x रोटीवाद और भौतिक सुखवादकी अति रोकने के लिए; उनके कृष्ण पक्षको जाननेके लिए व उनके मादक और पतनकारी फंदेसे बचने के लिए सर्वोदय के विचार विशेष महत्त्वके हैं । मू० चार आने । १० गांधीजीका बयान या सत्याग्रह मीमांसा । आवरण पृष्ठपर महात्माजीका फोटो | मू० ॥ ) छपाई सफाई सुंदर । प्रभाने लिखा है:-" पाठकों को मालूम होगा कि, पंजाब - इत्याकांड संबंधी जाँच करनेके लिए हंटर कमेटी नामकी एक कमेटी बैठी थी । उस कमेटीमें महात्माजीने लिखित इकरार दिया था, वही इस पुस्तिका के रूपमें प्रकाशित किया गया है । गाँधीजी का यह बयान एक अत्यंत महत्वपूर्ण वक्तव्य है । इसी में महात्माजीने अपने सिद्धान्तोंका मंडन और सत्याग्रहपर किये जानेवाले आक्षेपोंका खंडन अपनी स्वाभाविक योग्यता और असाधारण उत्तमतासे किया है। प्रकाशकोंने इस बयानको हिन्दी में प्रकाशितकर हिन्दी की अच्छी सेवा की है । "" ११ तीन रत्न । १० ( ले० - महात्मा गाँधी । ) इसमें तीन कथाएँ हैं । ( १ ) मूर्खराज ( २ ) मनुष्य कितनी जमीनका मालिक हो सकता है ? (३) जीवनडोर । संसारके प्रसिद्ध महापुरुष टाल्स्टायने अनेक कथाएँ लिखी हैं । उन्हीमेंसे जो कथाएँ सर्वोत्कृष्ट थीं उनको महात्माजीने गुजरातीमें लिखा था । उन्हीं गुजराती कथाओंका यह हिन्दी अनुवाद है । पुस्तककी उत्तमता के विषयमें दोनों महापुरुषों का नाम ही काफी है । मू० दस आने । १२ पञ्चरत्न | ले० - महात्मा गाँधी इसमें महात्माजीकी लिखी हुई १ पूर्व और पश्चिम २ एक धर्मवीरकी कथा । ३ धर्मनीति और नीतिधर्म आदि पाँच पुस्तकें हैं मूल्य १ 1 ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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