Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granth Bhandar

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Page 896
________________ ग्रंथ भंडार लेडी हार्डिंजरोड माटुंगा ( बम्बई ) १३ स्वदेशी धर्म । लेखक • 11 - काका कालेलकर । इसके बिषयमें गाँधीजी कहते हैं । " इसके अंदर जो विचार हैं वे स्वदेशी `धर्मको सुशोभित करनेवाले हैं । मैं चाहता हूँ कि समस्त भारत इनका पूर्णतया उपयोग करे । "" मू० 1) १४ कलियुगमें देवताओंके दर्शन । ११ हास्यरसपूर्ण एक छोटासा निबंध । मू० एक आना । १५ संवाद संग्रह | ( लेखक - कृष्णलाल वर्मा । ) हर साल हरेक पाठशाला और हरेक हाइ स्कूलमें वार्षिकोत्सव और पारितोषिक वितीर्णोत्सव हुआ करते हैं । उनमें खेलनेके लिए संवाद कठिनतासे मिलते हैं । इसी कमीको पूरा करनेके लिए लेखकने यह संवाद संग्रह तैयार किया है । इसमें कन्याओंके और लड़कोंके खेलने लायक संवाद है । ये संवाद बंबई में बड़ी ही सफलताके साथ खेले जा चुके हैं । इसमें जितने गायन हैं उन सबके नोटेशन भी दिये गये हैं । जिससे हरेक आदमी आसानीसे उन्हें गा सकता है और बजा सकता है । मू० १ ) १६ - १७ बाल श्रीकृष्ण (भाग १ ला २ रा ) (लेखक – श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा ) 1 1 इसमें भगवान श्रीकृष्णकी बाललीलाका वर्णन है । बच्चे पढ़कर प्रसन्न होते हैं उनके हृदयमें उत्साह आता है । जीवनकी एक एक घटनापर एक एक कथा है । हरेक कथाके साथ उसके भावको बतानेवाले चित्र हैं । ऊपर आर्टपेपरपर माखनचोर -और बंसीवालेके बड़े ही सुंदर बहुरंगे चित्र हैं । मूल्य प्रत्येक भागके चार आने । १८ शिशुकथा इस पुस्तक के लेखक श्रीयुत एन. जी. लिमये बी. ए. एस. टी. सी. सुप्रिण्टेण्डेण्ट Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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