Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granth Bhandar

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Page 892
________________ ग्रंथ भंडार लेडीहार्डिंजरोड माटुंगा (बम्बई) ७ ~~~~ " गृहिणी-गारवकी सातों गल्पं बड़ी ही सुंदर और शिक्षाप्रद हैं । सातोहीमें कोमलता, कमनीयता और त्यागशीलताके मनोमुग्धकर चित्र चित्रित किये गये हैं। इन्हें देखकर आँखें जुड़ा जाती हैं और हृदय पवित्र प्रेमको भावनासे भर जाता है। प्रायः प्रत्येक कहानीमें ऐसे प्रसंग आये हैं जिन्हें पढ़कर आँसुओंका रोकना असंभव हो जाता है । पढ़ी लिखी बहिनबेटियोंको देनेके लिए इससे अच्छी भेट और क्या होगी ? जो स्त्रियाँ पढ़ नहीं सकती हैं उन्हें पढ़कर ये कहानियाँ सुनानी चाहिए । इससे उनके हृदय पवित्र और उन्नत बनेंगे । पवित्र कहानियोंका ऐसा सुंदर संग्रह प्रकाशित करके आपने स्त्रियोपयोगी साहित्यके मनोरंजक अंशकी बहुत अच्छी पूर्ति २. आदर्श बहू । अनु०-६० शिवसहाय चतुर्वेदी बढ़िया एण्टिक पेपरपर छपी हुई। चार सुंदर चित्रोंसे सुशोभित । ( तीसरा संस्करण मू०॥) सजिल्द ११) यह बंगालके सुप्रसिद्ध लेखक श्रीयुत शिवनाथ शास्त्रीकी मेजबऊ' नामकी "पुस्तकका परिवर्तित अनुवाद है । बंगालमें इसका बड़ा आदर है। थोड़े ही समयमें अबतक इसके इक्कीस संस्करण हो चुके हैं । आशा है हिन्दी संसारमें भी इसका आदर होगा । इसमें शारदाके चरित्र द्वारा बताया गया है कि, एक सुशील बहू किस प्रकारसे सारे कुटुंबमें सुखशान्ति रख सकती है ? कैसे समय पर अपने पतिकी सहायता कर सकती है और कैसे प्रेम दिखानेवाले ससुर और विना ही कारण नाराज रहनेवाली सासकी, एकाग्रताके साथ एकसी भक्ति और सेवा कर सकती है । अपनी गृहस्थीको सुखपूर्ण बनानेके लिए हरेक घरमें इस पुस्तकका पाठ होना चाहिए। (फिरसे छपती है ) ३. दरिद्रता और उससे बचनेके उपाय । ( अनु०-श्रीयुत कृष्णलाल वर्मा।) इसमें बताया गया है कि, हरेक मनुष्य प्रामाणिक प्रयत्नसे, रातदिन धनवान बननेके विचारोंसे, अपनेको क्षुद्र न समझनेके खयालसे, गरीबीसे छूट सकता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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