________________
૧૪
जेनरत्न ( उत्तरार्द्ध )
अपनी होशियारी और समयसूचकता से पचीस बरस पहले जो मजूरी करते थे वे ही हीरजीभाई पत्रीम बरमके बाद एक बहुत बड़े व्यापारी और कच्छी बीसा ओसवाल जैन समाजहीमें नहीं बंबई में बहुत बड़े धनिक माने जाने लगे |
इनका प्रथम ब्याह श्रीमती मालबाईके साथ हुआ था और दूसरा ब्याह जीवीबाई के साथ हुआ था ।
इनके चार पुत्र हुए ।
१ केशवजीभाई
इनका ब्याह श्रीमती रतनबाईके साथ हुआ था । इनके साकरबाई और नर्मदाबाई नामकी दो कन्याएँ हैं । ये बी. तक पढ़े थे ।
I
ए.
२ रतनसीभाई
इनका जन्म सं० १९४९ के पोस वदि ९ को हुआ था । इनके दो यह हुए । इनके दो लड़कियाँ हैं । एकका नाम मटुबाई है और दूसरी का नाम बच्चूचाई। ये मेट्रिक तक पढ़े हैं और सरल स्वभावके सज्जन हैं ।
३ नानजीभाई
इनका जन्म सं० १९५० के मगसर वदि ११ को हुआ । इनके दो ब्याह हुए | पहला ब्याह सं० १९६५ में मणिबाईके साथ हुआ और दूसरा ब्याह श्रीमती उपरबाईके साथ हुआ
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com