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श्वेतांबर स्थानकवासी जैन
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जाति के आगेवानों में से ये एक थे । सं० १९९४ में जब कंपनी खूब तरक्की कर रही थी, इनका देहांत हो गया
खीमजीभाई
चांपसी सेठके दूसरे पुत्र खीमजीभाई थे । इनका जन्म सं० १९१७ में हुआ था । इनका ब्याह श्रीमती सोनबाईके साथ हुआ था । इनके आठ संताने हुई परन्तु श्रीमती सुंदरबाईके सिवा अब सबका देहांत हो गया है । श्रीमती सुंदरबाईके लग्न सेठ लखमसी नप्पुके पुत्र जादवनी भाईसे हुए हैं ।
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इन्होंने अपने गाँव देसलपुर में एक बड़ी बिल्डिंग बंधवाई है । इन्होंने अपनी दो कन्याओंके लग्न बड़ी धूमधाम के साथ किये । उनमें तीस हजारका खर्चा किया और प्रत्येक लड़कीको पचीस पचीस हजार रुपये नकद जेवर के अलावा दिये ।
इन्होंने अपनी मातुःश्री श्रीमती मेघीबाईके देहांत होनेपर पन्द्रह हजार रुपये धर्मादेमें और जातिको जिमाने में दिये ।
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इन्होंने गुप्त और प्रकट धर्मादा भी बहुत किया । प्रकट रकमें जो मालूम हुईं वे ये हैं
१५०००) सं० १९९६ के दुष्कालमें कच्छमें सस्ते भावसे
अनाज बेचने के लिए दुकान निकाली । सर्वधा
गरीबों को मुफ्त में अनाज दिया । उसमें खर्चे
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