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जैनरत्न (उत्तरार्द्ध) तब सं० १९१० में इन्होंने अनाजकी आडतकी दुकान खोली। उसका नाम रक्खा 'चांपसी माराकी कंपनी । यह कंपनी खूब फली फूली। ___इनका लग्न सं० १९१० में श्रीमती मेघईबाईके साथ हुआ या । इनके तीन लड़के और चार लड़कियाँ हुए । लड़के-१ लालजीभाई २ खीमजीमाई ३ आनंदनीभाई। लड़कियाँ-१ मांगलबाई २ गोमीबाई ३ गांगबाई ४ परमाबाई । ____ चांपसी सेठ उदार पुरुष ये । अपनी कमाईका बहुत बड़ा माग वे दान पुण्यमें खर्चते थे। हृदयके सरल और धर्मपरायण पुरुष थे । उनकी मृत्यु सं० १९३४ में हुई थी।
लालजी सेठ इनका जन्म सं० १९१४ में हुआ था। इनके दो लग्न हुए थे । पहली पत्नीका निःसन्तान देहांत हो गया। दूसरे लग्न सं० १९४२ में श्रीमती रतनबाईके साथ हुए थे। उनके चार बालक हुए । मगर तीन गुजर गये । चौथे पोपटभाई मौजूद हैं।
लालनी सेठने अपने पिताकी स्थापन की हुई कंपनी खूब बढ़ाई, प्रसिद्ध की। भीडी बजारमें असुविधा होनेसे इन्होंने दानावंदरपर एक बिल्डिंग बनवाया और कंपनी वहीं उठा लाये। आजतक वह वहीं है।
चिंचपोकली स्थानकईन्होंने पन्द्रह हजार रुपये दिये थे।
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