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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध)
प्रांत भी उसमें शामिल कर लिया गया और अब यह संस्था 'मध्यप्रांत व बराड ओसवाल सभा' के नामसे चल रही है। उसके आप मानद सहायकमंत्री हैं।
इनका मुख्य धंधा साहूकारी है। सोने चाँदिका रोजगार भी इनकी दुकानपर होता है।
श्रीयुत भेरूलालजी गेलड़ा ये सं. १९४९ के महावदि ३० के दिन ओसवाल जातिके श्रीयुत गुलाबचंद्रजी गेलड़ाके घर श्रीमती गेंदबाईनीकी कोखसे उदयपुर शहरमें जन्मे थे । ये स्थानकवासी तेरह पंथ धर्मके माननेवाले हैं। इनके एक भाई शोभालालनी हैं और वे बराडप्रांतमें सरकल इन्स्पेक्टर हैं। ___ ये जब १५ बरसके हुए तब इनका ब्याह श्रीमती भूरकुँवरबाईके साथ हुआ था। ___ इनके पिता गुलाबचंद्रजी वकालत करते थे। उसमें उन्होंने अच्छी. कमाई की थी।
भेरुंलालजीका स्वभाव बचपनमें खिलाड़ी था । इसलिए ये अधिक विद्याध्ययन न कर सके । सामान्य हिन्दी पढ़ी थी। इनके पिता चाहते थे कि ये भी अहलकारी या वकालत करें। मगर इनको ये काम पसंद न थे। आखिरकार इन्होंने कपड़ेकी दुकान खोली । सफलतापूर्वक वह दुकान चल रही है।
संगतिने इनके विचारोंमें परिवर्तन किया। इनके हृदयमें सेवाकी भावना जागी। भावनाको कार्यरूप में परिणत करनेका अवसर भी मिल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com