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स्थानकवासी जैनसद्गृहस्थ. २१ इन्होंने गुप्त दान भी बहुत किया है । कहा जाना है कि करीब दस हनार रुपये वार्षिक गुप्त रूपसे और परचूरण दानमें दिया करते थे। कच्छमें जब जब दुकाल पड़ा तब तर इन्होंने डोरोंके लिए घाप्त और मनुष्योंके लिए अनाजकी सस्ती दुकानें खुलवाई थीं और हजारों रुपयोंका दान किया था। जिस साल अहमदनगर जिलेमें मयंकर दुष्काल पड़ा था उस साल वहाँ १०४४ गायोंकी रक्षा की थी। उसमें मेघनी सेठने बहुत बड़ी रकम दी थी।
श्रीश्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फरेंसको इन्होंने पहलेहीसे सहायता दी थी । बीचमें कुछ कालके लिए कॉन्फरेंस सो गई। बारह बरस सोती रही। फिर बारह बरसके बाद उसको जगा कर उसमें कार्यकारिणी शक्ति पैदा करनेका काम इन्हें सौंगा गया । मलकापुरमें कॉन्फरेंसका जल्सा हुआ। उसके ये प्रमुख बनाये गये । इन्होंने सचमुचही उसमें नया जीवन डाल दिया । कान्फोसका ऑफिस बंबई आया इतना ही नहीं बंबई में फिर उसका उत्सव हुआ तब इन्होंने वृद्ध होते हुए भी स्वागत समितिके प्रमुखका कार्य स्वीकार किया और इस तरह समाजकी सेवा की।
स्थानकवासी श्रीसंघने इनके कामोंकी,-इनकी सेवाओंकी कदर करनेके लिए, इन्हें माधवबागता. २०-३-२७ के दिन एक मानपत्र दिया था।
आँखके स्पेशिआलिस्ट डॉक्टर रतिलाल शाहको एक बार
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