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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध)
उन्होंने बहुत बड़ी जायदाद बनाई थी। इस समय इनके पुत्रों के पास नीचे लिखी जायदाद है ।
सोलह लाख वार जमीन मुलंद (बंबई ) में, पैंतीस हजार वार जमीन काँदीवली ( बंबई ) में, नेपिअन्सीरोड पर दो बँगले और बीस बड़ी बड़ी चालें ( रहने के मकान ) जुदा जुदा मुहल्लोंमें हैं !
इन्होंने गाँव इथरबरोली मिला अहमदनगरमें एक धर्मशाला बनवाई थी। ये धर्मपरायण, उत्साही और परिश्रमी सज्जन थे। इनका देहांत सं० १९६७ में हुआ था।
इनके देहान्तके बाद इनके पुत्रोंने सारा कामकाज संभाला । इनके बड़े पुत्र केशवजीभाईका भी अब देहान्त हो गया है। माले दो पुत्र रतनसीमाई और नानजीमाई इस समय दुकानका काम चला रहे हैं। इस समय साहकारीका ही मुख्य रोजगार करते हैं।
इन सज्जनोंने नीचे लिखी रकम दानमें दी हैं। १५००) पूरबाई कन्याशाला बंबईको। इस रकमके ब्यानसे
प्रतिवर्ष बाई मालबाई जीवीवाईके नामसे एक चाँद उस कन्याको दिया जाता है, जो सारी पाठशाला में अच्छे स्वभावकी समझी जाती है।
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