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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध )
दान क्या मान और पदवीके लिए किया जाता है ? मान और पदवीके लिए जो धन दिया जाता है वह तो उनकी कीमत है । वह दान नहीं । और मैं तो सरकारको प्रसन्न करने की अपेक्षा अपने प्रभुको प्रसन्न करना ज्यादा अच्छा और हितकारक समझता हूँ | इस समय मेरी मातृभूमि कच्छ में, तथा काठियावाड़ और गुजरातमे मयंकर दुष्काल है। हजारों स्त्रीपुरुष अन्नके बगैर तड़प रहे हैं । ऐसे वक्त में आपकी सलाह के अनुसार रकम नहीं खरच सकता | हाँ सवा दो लाख नहीं ढाई लाख रुपये देनेका संकल्प मैं इसी समय करता हूँ । इनका उपयोग दुष्कालपीडित लोगों की मदद करनेमें किया जायगा । "
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उनकी मनुष्य - दयाकी भावना इस उदाहरणसे स्पष्ट होती है। धर्मपर उनकी पूर्ण श्रद्धा थी नियमित देवदर्शन करते थे और साधु साध्वियोंकी तनमन और धनसे सेवा करनेको सढ़ा तत्पर रहते थे ।
इन्होंने अपने पुत्रके लग्न बड़ी धूमधामसे किये थे । लग्नर्मे कहा जाता है कि, करीब एक लाख रुपये खर्चे थे ।
सन् १९२० में इनके इकलौते भाग्यशाली पुत्र हीरजीभाईका पेरिस में देहांत हो गया। इसका इनके मन और शरीर पर बहुत खराब असर हुआ और सन् १९२२ के मार्चकी २२ वीं तारीख के दिन इनका लीमड़ीमें देहांत हो गया ।
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