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श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन
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स्टेशनके सामने एक अच्छी धर्मशाला बना दी और मुसाफिरोंसे आशीर्वाद लिया ।
ये तीन बरस तक दारव्हा तालुका बोर्डके उपप्रमुख रहे थे । इस पद पर रहकर इन्होंने दारव्हा तालुकेकी बहुत सेवा की थी ।
माताके ये बड़े भक्त थे। जब तक माता जीवित रहीं बडे प्रेमसे ये उनकी सेवा करते रहे । हमेशा माताने जो हुक्म दिया वही किया । कभी माताकी आज्ञा न टाली । उनके देहांत होने पर बड़ी अच्छी तरह सभी लोकाचार किये । मौसर कर जाति बंधुओं में प्रति घर एक चांदीकी अमरतीकी ल्हाण बाँटी ।
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ये राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक सभी कामोंमें रस लेते हैं और उनमें यथासाध्य तन, मन और धनसे सहायता करते हैं ।
जैनधर्मके आप बड़े भक्त हैं । हमेशा सेवा, पूजा, सामायिक आदि कार्य किया करते हैं | अतिथि सत्कार इनका एक मुख्य गुण है । हमें मालूम हुआ है, कि दारुहेमें आये हुए किसी भी साधर्मी बंधुक ये अपने यहाँ भोजन कराये बिना नहीं जाने देते ।
इनका स्वभाव मिलनसार और उदार है ।
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