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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध) सं० १९६३ में इन्होंने कच्छमें भ्रमण किया और करीब २० गाँवोंमें पाठशालाएँ स्थापन की। इनमें लड़के और लड़कियाँ सभी साथ साथ पढ़ते थे। ____ सं० १९६४ में इन्होंने भावनगरमें ‘आनंद प्रिंटिंग प्रेस' आरंभ किया और वहाँसे ग्रंथ भी प्रकाशित कराने लगे ।
सं० १९६४ में बंबई में 'कच्छी जैनमहिला समाज' और 'रूपसिंह भारमल श्राविकाशाला' नामकी दो संस्थाएँ स्थापित की। इसके पहिले कच्छी जैनसमाजमें स्त्रियोंके लिए कोई संस्था नहीं थी।
जामनगर स्टेटके हालार प्रांतमें, २० दिन तक भ्रमण किया और वहाँसे २० गरीब विद्यार्थियोंको मांडवी ( कच्छ )में लेजाकर ‘कच्छी जैन बालाश्रम' सं० १९६५ के कार्तिक सुदि १ को स्थापन की। अब वह संस्था नलिया ( कच्छ )में है और सेठ नरसी नाथाके फंडमेंसे उसको ६००० रु. वार्षिक मदद मिलती है। इस संस्थाका नाम भी इस समय 'सेठ नरसी नाथा कच्छी जैनबालाश्रम' हो गया है। ___ अब तककी शिवजीभाईकी प्रवृत्तियोंने इनको समाजमें दिनोदिन प्रतिष्ठित और आदरणीय पुरुष बनाया। ___सं० १९६६ में इन्होंने गुप्त-प्रवास किया । इस गुप्त प्रवासमें इनका हेतु आत्मसाधन था; परंतु जनसमाजने इस गुप्त प्रवासको किसी दूसरे दृष्टिबिंदुसे देखा । स्त्रीसमाजके साथ बढ़ते
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