Book Title: Jain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granth Bhandar

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Page 838
________________ श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन २ वेलजी सेठ इनका जन्म सं० १९४५ के आसोनमें (१४ अक्टोबर सन् १९१९) को हुआ था। सन् १९०९ में इन्हें बी. ए. की और सन १९११ में एल एल. बी की डिग्री मिली थी। परन्तु इन्होंने कभी विकालत नहीं की । इनके तीन ब्याह हुए हैं। पहला ब्याह इनकी तेरह बरसकी उम्र मुरनी भाराकी पुत्री देवकांचाईके साथ सं. १९५८ में हुआ था। इनसे दो पुत्रियाँ हुई । एकका नाम संतोषबाई और दूसरीका नाम हेम. कुंवरबाई । देवकांचाईका देहांत हो गया । बाद में, दूमरा ब्याह सं. १९६८ में देवनी खेतमीकी पुत्री तेजबाईके साथ हुआ । इनसे कोई संतान नहीं हुई। इनका देहान्त होने पर, तीसरा ब्याह सं० १९७५ में भवाननी रामनीकी पुत्री कुँवरबाईके साथ हुआ। इनसे दो पुत्र हैं-प्रेमजी और कस्पाणनी। एल एल. बी. की परीक्षा पास करके इन्होंने व्यापारका कामकान सम्माला । इनकी पुरानी दो दुकानें चल रही थीं। इन्होंने एक दुकान और प्रारंम की है । अभी इनकी नीचे लिखी तीन दुकाने हैं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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