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श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन १३५ शहरमें महाराजकी बहुत प्रशंसा हुई । शेरसिंहजीने महाराजकी भेट पजा करनी चाही; परन्तु उन्होंने स्वीकार न की। ___एक दिन महाराणा जवानसिंहजी जगदीशके मंदिर दर्शन करने पधारे । तब शेरसिंहजीने यतिजी महाराजका हाल कहा । महाराणाजीने उसी समय उन्हें बुलानका हक्म दिया।
यतिजी महाराजने जगदीशके मंदिरमें जाकर आशीर्वाद दिया । शेरसिंह ने कहाः-" हुजूर फर्माते हैं कि, आप जैसे सन्तोंका इस शहरमें रहना जरूरी है। इसलिए आप कहें उतनी जागीरी आपको सरकारकी तरफसे मिले ।"
यतिर्जाने जवाब दियाः-" मैं यहाँ रहनेके लिए आया हूँ। मगर जागीर तो नहीं लूँगा । साधुओंको इस उपाधिकी. क्या जरूरत है ?" ____बहुत आग्रह किया गया तब उन्होंने कहाः-" और तो मुझे किसी चीनकी जरूरत नहीं है; परन्तु मैं नासिका (सँघनी) सूंघता हूँ। उसके लिए एक टका (आधा आना) रोज चाहिए। सो आप एक टका मुझे राजमेंसे दिला द।" ___महाराणा साहब हँसे और बोले:-" साधु बड़े त्यागी हैं। सरकारसे इनके लिए एक टका रोज मिले ऐसी व्यवस्था कर दो।" __ लोभी लोग यतिजी महाराजके त्याग पर हँसे और उन्हें मूर्ख बताया । भले लोगोंने उनकी तारीफ की। ___ सरकारसे एक टके रोजकी व्यवस्था हो गई। वह टका
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