________________
जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध )
इनका जन्म सं० १९५३ के श्रावण महीने में हुआ था, और इनका व्याह जब ये १७ वर्ष के थे तब हुआ था । इनके एक कन्या हैं जिसका नाम वदनवाई हैं और एक पुत्र है, उसका नाम पारसमल ' है ।
(
९२
इनके दादा बख्तावरमलजी रियासत जोधपुरके रियाँ गाँवसे आये थे, तब बहुत ही गरीब थे । मगर उन्होंने परिश्रम और होशियारीसे अच्छा धन पैदा किया । आज दारव्हा ( बराड़ ) के मुखिया व्यापारियों में इनकी पेट्टी है ।
इनकी पेढीका नाम बख्तावरमल फूलमल है । ये दारव्हेक एक अच्छे जमींदार और प्रमुख व्यापारी समझे जाते हैं ।
आपके पिता फूलचंद्रजी बडे ही धर्म - प्रिय मनुष्य थे । उन्हींके मुख्य उद्योगसे द्वार हमें जैनमंदिर बना है । मंदिर के चिट्ठेमें आपने आठ हजार रुपये भरे हैं ।
कुंदनमलजी साहब प्रभावशाली और स्वाधीन विचारके मनुष्य हैं । ये अनेक वर्षों तक बराड प्रांतिक जैनकॉन्फरंसके ऑनरेरी सेक्रेट्री रहे हैं । बराड़ प्रांतिक जैनकॉन्फरंकी तरफसे जैनसंसार नामक मासिकपत्र निकला था । वह दो बरस तक चला । आप उसके मुख्य सहायकोंमें थे ।
दार बाहिर गाँवों से आने जानेवाले लोगोंके ठहरनेका कोई इन्तजाम नहीं था । लोगोंको बड़ी तकलीफ होती थी । आपने वह तकलीफ महसूस की और दस हजार रुपये लगाकर
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com