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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध )
सेठ मोहनचंद्रजी मूथा
इनके पिताका नाम मालूमचंद्रजी है । ये ओसवाल जातिके खिंवसरा मूथा गोतवाले हैं। श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैनाम्नायक अनुयायी हैं और दिग्रस ( बराड ) में रहते हैं ।
दिन हुआ था । जब इनकी उम्र व्याह हुआ । इनके एक पुत्री है
इनका जन्म सं० १९३९ के प्रथम श्रावण सुदि १३ के १६ बरसकी थी तब इनका । उसका नाम भँवरीबाई हैं । ये तीन भाई थे-मोहनचंद्रजी, मूलचंद्रजी और धर्मचंद्रजी दोनों छोटे भाइयोंका देहांत हो गया
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धर्मचंद्रजीके एक पुत्र है । उसका नाम फतहचंद्र है । उसकी उम्र इस समय करीब १७ बरसकी है । मेट्रिक में पढ़ता है । मोहनचंद्रजी साहब उसको बड़े प्यारसे रखते । वही आपका कुलदीपक है |
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इनके पिता सं० १९३६ में मारवाड़की जोधपुर रियासत के आसोप गाँव से बडी ही गरीब हालतमें दिगरस आये थे । यहाँ आकर उन्होंने बहुत ही छोटे रूपमें अनाज और किरानेका धंधा आरंभ किया । कुछ बरस बहुत तकलीफसे निकले; परंतु अंतमें असीम परिश्रमने सफलता दी। धीरे धीरे उनके पास खासी
पूँजी हो गई ।
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