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'श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन विद्यार्थियोंको रक्खा था । इनके उसमें चार हजार रुपये खर्च हुए थे।
मांडल ( काठियावाड़ ) की यति पाठशालामें इन्होंने एक हजार रुपये दिये थे । पालीतानेके जैन पुस्तक प्रसारक वर्गको एक हजार दिये थे । इनके अलावा जुदा जुदा रूपसे इन्होंने बीस हजारका दान दिया है । दो बरस पहले पाटनसे बड़ा संघ निकला था । वह जब कच्छमें कोठारे गाँव गया था, उस समय संघके भोजन खर्चका चौथा भाग इन्होंने दिया था ।
कुँवरजीमाई बुद्धिशाली, व्यापारकुशल, संगीत प्रेमी, स्वदेश हितैषी और धर्मतत्त्वके जाननेवाले हैं। इन्हें वाचनका अच्छा शौक है।
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