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जैनरत्न ( उत्तरार्द्ध) बेतानके राजा हैं । यह वह जगह है जिसके लिए हरेकके दिल में ईर्ष्या पैदा हो सकती है । ये सामान्य स्थितिसे जीवन आरंभ कर धीरे धीरे अपने उद्योगसे आगे बढे और अच्छी लक्ष्मी प्राप्त कर, अपनी जातिकी अनेक तरहसे मलाई करते आये हैं। और अब इन्होंने ऐसा ऊँचा पद पाया है। यह अपने लिए अभिमानकी बात है। काठियावाड़ीकी हैसियतसे और एक जैनकी हैसियतसे इस पद पर आनेवाले व्यक्ति वीरचंदभाई सबसे
___३-जैन श्वेतांबर कॉन्फरेंस-इसने जो सभा बुलाई थी उसके प्रमुख सेठ वेलजी लखमसी नप्पू बी. ए एल एल. बी. थे। उन्होंने कहा था:-" पहले जो लोग सरकारसे पद प्राप्त करनेवालोंको मात्र पत्र दिया करते थे, वे ही लोग अब सरकार के महमान होनेवालोंको ( जेल में जानेवालोंको) अभिनंदन देते हैं। यह विचार-परिवर्तन महात्मा गाँधीने किया है । श्रीयुत वीरचंदभाई आज अपने मिट कर सारी बंबईके नेता हुए हैं। पहले बंबईकी म्युनिसिपेलिटीके प्रमुख सबसे पहले शहरी गिने जाते थे । आज बंबईकी वार काउन्सिलके प्रमुख सबसे पहले शहरी समझे जाते हैं। और यह मान वीरचंदभाईको मिला है। "
बंबई की जैन युवक संघ पत्रिकामें श्रीयुत परमानंद कुंवरजीने लिखा है:-" वीरचंदभाई जैन युवक संघके एक अग्रगण्य समासद हैं । बंबईकी संग्राम समितिके ये प्रमुख चुने गये यह
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